Kerala High Court: केरल उच्च न्यायालय ने माल ढुलाई में तय मानक से अधिक भार ले जाने को लेकर अहम टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अधिक भार ले जाने पर सिर्फ वाहन का चालक ही नहीं बल्कि वाहन का मालिक भी उत्तरदायी है। अदालत ने माना कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (एमवी अधिनियम) के प्रावधानों के अनुसार किसी भी माल वाहक गाड़ी के पंजीकृत मालिक के साथ-साथ उसके चालक भी उसमें अधिक वजन ले जाने के लिए उत्तरदायी हैं।
न्यायमूर्ति जियाद रहमान एए ने क्या कहा:
एक मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जियाद रहमान एए ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में चालक और पंजीकृत मालिक दोनों पर अलग-अलग अपराध पाए जाते हैं। जिसका मतलब हुआ कि अधिक वजन वाले वाहन को चलाना (बिना लदान या लदे), और ऐसा करने के लिए वाहन को अनुमति देना अपराध हैं।
बता दें कि न्यायालय मोटर वाहन इंसपेक्टर के खिलाफ अलग-अलग मालवाहक गाड़ियों के मालिकों और चालकों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि धारा 113 की उप-धारा (3) के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी मोटर वाहन या ट्रेलर को किसी भी सार्वजनिक स्थान पर नहीं चलाएगा या चलाने की अनुमति नहीं देगा।
अदालत ने कहा कि इसलिए, यह स्पष्ट है कि दोनों कार्य, जिसमें अधिक भार वाले वाहन (बिना लदे या लदे) को चलाने के साथ-साथ उसे चलाने की अनुमति देना, अपराधों को आकर्षित करेगा, और ये अलग-अलग अपराध हैं जो अलग-अलग व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है।
इसके अलावा केरल हाई कोर्ट ने बीमा कंपनियों को भुगतान करने को लेकर एक मामले में आदेश दिया कि किसी दुर्घटना होने की सूरत में बीमा कंपनी को सड़क हादसे के शिकार शख्स या थर्ड पार्टी को शुरू में ही मुआवजे का भुगतान करना होगा। अदालत ने कहा कि इसमें भले ही बीमा पॉलिसी धारक नशे में वाहन क्यों नहीं चला रहा हो।
केरल हाईकोर्ट की जस्टिस सोफी थॉमस ने सुनवाई के दौरान आदेश में कहा, नशे की हालत में जब ड्राइवर गाड़ी चला रहा होता है, तो निश्चित रूप से उसकी चेतना और इंद्रियां बेसुझ हो जाती हैं, जिससे वह वाहन चलाने के लिए अयोग्य हो जाता है। लेकिन पॉलिसी के अंतर्गत देयता प्रकृति में वैधानिक है। ऐसे में पीड़ित को मुआवजे के भुगतान से कंपनी आजाद नहीं हो सकती है।