हरियाणा की राजनीति में कभी ओम प्रकाश चौटाला एक शख्सियत थे। ताऊ देवी लाल के बेटे ने कभी हार मानना नहीं सीखा, ये राजनीति की इबारत है। शारीरिक रूप से अक्षम होने के बाद भी उनके हौसले की विरोधी भी दाद देते रहे हैं। लेकिन शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल से आने के बाद चौटाला पहले जैसे नहीं दिखे।
हालांकि उन्होंने तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश में नीतीश और दूसरे नेताओं से बात की पर वो चीज नहीं दिखी जिसके लिए चौटाला मशहूर रहे। 80 पार की उम्र के चौटाला के लिए फिर से जेल जाना INLD (इंडियन नेशनल लोकदल) के लिए खासा झटका माना जा रहा है। पार्टी के पास केवल एक सीट है और वो भी परंपरागत ऐलनाबाद। यहां से ओपी चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला चुनाव लड़ते हैं। लेकिन लगता नहीं कि इस असेंबली सीट से बाहर उनका कोई असर है।
जबकि एक समय चौटाला का रुतबा ये था कि वो हरियाणा के सबसे बड़े जाट नेता माने जाते थे। उनको राजनीति की चौसर का चाणक्य भी माना गया। एक समय था जब ये माना जाता था कि पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की पार्टी जीत तो जाती है पर उसे राज करना नहीं आता। हमेशा उनकी सरकार बीच में ही धाराशाई हो जाती थी। लेकिन चौधरी बंसीलाल की सरकार को गिराकर सीएम बने चौटाला ने दिखाया कि सरकार कैसे चलाई जाती है। उनका सारे सूबे पर वर्चस्व था। विरोधी उनके राज में सिर उठाने की हिम्मत तक नहीं करते थे। नौकरशाही पर उनका पूरा कंट्रोल था। चौटाला को जाट समुदाय का सबसे पसंदीदा नेता माना जाता था। लेकिन 2013 में वो शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल गए तो पार्टी भी बैठ गई।
87 साल के चौटाला 1989,से 2005 के बीच तीन बार सीएम बने। 2005 में कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथों उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी। उसके बाद उन पर ताबड़तोड़ केस दर्ज हुए। हालांकि 2009 के चुनाव में उनके दल ने 31 सीटें लेकर सूबे की राजनीति में फिर से सनसनी फैला दी। जो लोग उन्हें चुका हुआ मान रहे थे। ये सीटें उनके मुंह पर तमचा थीं। लेकिन उसके बाद 2013 में उन्हें अपने बड़े बेटे अजय चौटाला के साथ जेल जाना पड़ा। पार्टी पर इसका असर दिखा और वो 17 सीटों पर सिमट गई। बीजेपी ने 47 सीटें जीतकर अपनी पहली सरकार बनाई।
उसके बाद उनके बेटों अजय और अभय में विवाद शुरू हुआ। अजय ने INLD से अलग होकर जेजेपी बनाई। अब वो बीजेपी के साथ सत्ता में भागीदार हैं। उधर, 10 साल बाद ओपी चौटाला जेल से बाहर निकले तो उनका असर गायब था। उन्होंने कोशिश की लेकिन साफ दिखा कि उनकी रिहाई से पार्टी के भाग्य पर कोई असर नहीं पड़ा। वो मरी हुई हालत में ही रही। अब उनका फिर से जेल जाना अभय के लिए झटका होगा। वो पिता के दम पर ही फिर से उठने की फिराक में थे। लेकिन अब उन्हें फिर से जेल जाना ही पड़ेगा। खास बात है कि अभय के खिलाफ भी ऐसा ही केस लंबित है। अगर वो भी अंदर हो गए तो INLD का नाम ही खत्म हो जाएगा।
चौटाला को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी करार दिया है। सजा पर अदालत 26 मई को दलीलें सुनेगी। पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ सीबीआई ने 2006 में केस दर्ज किया था। जांच के बाद 2010 में चार्जशीट दाखिल की गई। चौटाला का बयान चार्जशीट के सात साल बाद 16 जनवरी 2018 को दर्ज हुआ था। मामले में सीबीआई ने 106 गवाह पेश किए। खास बात है कि ताजा मामले के सूत्रधार चौटाला के भाई प्रताप सिंह थे। उनकी शिकायत पर 1997 में आय से अधिक संपत्ति जमा करने के आरोप में केस दर्ज किया गया था। ध्यान रहे कि जेबीटी घोटाले में अदालत ने उनको 10 साल की सजा सुनाई थी। पिछले साल ही चौटाला दिल्ली की तिहाड़ जेल से सजा पूरी कर बाहर आए थे।