सुप्रीम कोर्ट में एक नए तरह का विवाद सामने आया है। एक बेंच ने एक मामले को दूसरी बेंच को असाइन करने का आदेश दे डाला। जिस बेंच को केस असाइन किया गया था वो इस फैसले से बिफर गई। जज ने ओपन कोर्ट में फैसले पर नाखुशी जताकर रजिस्ट्री को फरमान जारी कर दिया कि केस को पहले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के सामने रखा जाए। वो मास्टर ऑफ रोस्टर हैं। वो आदेश जारी करेंगे तभी हम मामले की सुनवाई करेंगे।
दरअसल जस्टिस एमआर शाह और सीटी रवि कुमार की बेंच ने एक मामला सीधे जस्टिस बीआर गवई और विक्रम नाथ की बेंच को असाइन कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की तय परंपरा के मुताबिक सीजेआई मास्टर ऑफ रोस्टर होता है। रजिस्ट्री का काम होता है कि वो लिस्ट होने वाले केसों को सीजेआई के सामने रखे। उसके बाद सीजेआई तय करते हैं कि कौन सी बेंच कौन से केस की सुनवाई करेगी।
जस्टिस शाह ने जस्टिस गवई की बेंच को सीधे भेजा था केस
मौजूदा मामले में फरवरी में जस्टिस एमआर शाह और सीटी रवि कुमार की बेंच ने एक मामला सीधे जस्टिस बीआर गवई और विक्रम नाथ की बेंच के पास सुनवाई के लिए भेजस दिया। जस्टिस शाह का तर्क था कि जस्टिस गवई पहले भी इस मामले की सुनवाई एक बार कर चुके हैं। लिहाजा वो इस केस को बेहतर तरीके से समझकर फैसला दे सकते हैं। आदेश फरवरी में जारी हुआ था लेकिन जस्टिस गवई के बेंच के सामने ये केस आज गया।
जस्टिस गवई ने जस्टिस शाह के फरमान से नाखुशी जताते हुए कहा कि अगर किसी बेंच को लगता है कि मामला किसी दूसरी बेंच को असाइन किया जाना चाहिए तो इसके लिए केस को सबसे पहले सीजेआई के पास भेजा जाना चाहिए। ओपन कोर्ट में जस्टिस गवई ने जस्टिस शाह के फैसले पर एतराज दर्ज कराते हुए कहा कि उन्होंने इस मामले की सुनवाई सितंबर 2022 में की थी। उस समय कोई भी फैसला नहीं दिया जा सका था।
जस्टिस गवई ने जस्टिस सीटी रविकुमार के पाले में डाली गेंद, बोले- पहले सीजेआई से लो मंजूरी
जस्टिस गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की आम परंपरा है कि अगर मामले में किसी जज ने आदेश जारी किया था तो केस उसे भेजा जाए। इस मामले में आदेश जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच ने जारी किया था। लिहाजा ये मामला सीटी रविकुमार के पास भेजा जाए। लेकिन रजिस्ट्री इसके लिए सबसे पहले सीजेआई की मंजूरी हासिल करे। सीजेआई की सहमति के बगैर केस यूं ही असाइन नहीं किया जा सकता।