तेल उत्पाद को GST की ओर ले जाना पड़ेगा, ग्राहकों को मिलेगा लाभ- पेट्रोलियम मंत्री का बयान
उनका कहना है कि हम इसके लिए जीएसपी काउंसिल से लगातार अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन इसका फैसला काउंसिल को ही करना है कि पेट्रोल, डीजल को GST के दायरे में लाएं या नहीं।

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि तेल उत्पाद को GST की ओर ले जाना पड़ेगा, तभी ग्राहकों को सीधा लाभ मिलेगा। उनका कहना है कि हम इसके लिए जीएसपी काउंसिल से लगातार अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन इसका फैसला काउंसिल को ही करना है कि पेट्रोल, डीजल को GST के दायरे में लाएं या नहीं।
ध्यान रहे कि देश में पिछले कई दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतें नया रिकॉर्ड बना रही हैं। बावजूद इसके कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें काफी कम हैं। प्रधान का कहना है कि ईंधन की कीमत बढ़ने के पीछे दो मुख्य कारण हैं। तेल उत्पादक देशों ने ईंधन का उत्पादन कम कर दिया है। अधिक लाभ के लिए तेल उत्पादक देश ऐसा कर रहे हैं। इससे उपभोक्ता देश त्रस्त हैं।
Delhi: Petrol price nears Rs 91 per litre mark and diesel crosses Rs 81 a litre, as fuel prices hiked again after two-day pause
— Press Trust of India (@PTI_News) February 23, 2021
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने के कारण 'पेट्रोल' के दाम बढ़े हैं : धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री #PetrolPriceHike #PetrolDieselPriceHike #petrol100 pic.twitter.com/3rR4ULdXOH
— News24 (@news24tvchannel) February 23, 2021
We are consistently requesting the GST council to include petroleum products under its purview as it will benefit people. But it is their call to take: Union Petroleum Minister Dharmendra Pradhan pic.twitter.com/7ini4v3RTg
— ANI (@ANI) February 23, 2021
Due to an increase in prices of crude oil in international markets, consumer price (for petrol & diesel) has risen. This will soften gradually. Global supply was reduced due to COVID in turn affecting production as well: Union Petroleum Minister Dharmendra Pradhan pic.twitter.com/TN9N52U2rm
— ANI (@ANI) February 23, 2021
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि सरकार लगातार ओपेक और ओपेक प्लस देशों से आग्रह कर रही है कि ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्हें उम्मीद है कि बदलाव जल्द होगा। प्रधान ने कहा कि तेल की कीमतें बढ़ने का दूसरा कारण विकास कार्य हैं। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार कर एकत्र करते हैं। विकास कार्यों पर खर्च करने से ही अधिक रोजगार पैदा होंगे। सरकार ने अपने निवेश में वृद्धि की है और इस बजट में 34% अधिक पूंजी व्यय किया जाएगा।
पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग को केंद्र सरकार पहले कई बार खारिज कर चुकी है। तब सरकार का तर्क था कि इससे लोगों को कोई राहत नहीं मिलेगी। सरकार के मुताबिक, पेट्रोल, डीजल को जीएसटी में लाने से राज्यों की कमाई पर भी काफी बड़ा असर पड़ेगा। अगर तेल उत्पाद जीएसटी में आते हैं तो भी उन पर 28 फीसदी टैक्स के बाद सेस लगाया जाएगा। इसका लाभ ग्राहकों के बजाए तेल कंपनियों को मिलेगा। ग्राहकों के लिए कीमतों में किसी भी तरह का अंतर देखने को नहीं मिलेगा।
गौरतलब है कि दिल्ली में पेट्रोल की कीमत इस समय 91 रुपए है तो डीजल 81 रुपए के आंकड़े के पास पहुंच गया है। तेल के दामों में दो दिनों तक बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली थी। उसके बाद फिर से दाम बढ़ गए। विपक्ष तेल के दामों पर लगातार सरकार पर हमलावर हो रहा है।