Bihar Assembly Elections 2020 से पहले राजस्थान में अंदरूनी लड़ाई से परेशान कांग्रेस के लिए एक मोर्चा बिहार में भी खुलता दिखाई दे रहा है। पार्टी के नेता कैलाश पाल नेे कांग्रेस छोड़ने की चेतावनी दी है। फिलहाल उन्होंने पार्टी के पदों से इस्तीफा दिया है। उन्होंने जनसत्ता.कॉम से कहा कि अगर पार्टी नेतृत्व ने उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं की तो वह प्राथमिक सदस्यता से भी त्यागपत्र दे देंगे। उनका दावा है कि नेतृत्व के रुख से पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग के कई नेता असंतुष्ट हैं और अगर रुख नहीं बदला तो उनके भी इस्तीफे हो सकते हैं।
कैलाश पाल का पार्टी नेतृत्व पर आरोप है कि पिछड़ी जातियों को नजरअंदाज कर अगड़ी जातियों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। उनका कहना है कि संगठन में भी सारे बड़े पद अगड़ी जातियों के नेताओं के पास ही हैं और विधानपरिषद व राज्यसभा चुनावों में टिकट भी अगड़ी जातियों को ही दिया गया। कैलाश पाल बिहार प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं और फिलहाल प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (वर्किंग कमेटी) में हैं। इस पद से उन्होंने आठ जुलाई को इस्तीफा दिया है, लेकिन यह स्वीकार या अस्वीकार नहीं हुुुुआ है।
पाल का कहना है कि पिछड़ों और अति पिछड़ों की अनदेखी के चलते ही आज पार्टी हाशिये पर है। उनका यह भी कहना है कि अगर अगड़ी जातियों को परंपरागत वोट बैंक बचाने और बढ़ाने के मकसद से बढ़ावा दिया जा रहा है तो फिर राजद से गठबंधन का क्या औचित्य है? राजद से गठबंधन रहते अगड़ी जातियों के लोग पार्टी से कैसे जुड़ सकते हैं? 2015 में महागठबंधन की सरकार में मंत्री बनने से लेकर हालिया राज्यसभा चुनाव तक अगड़ी जाति के नेताओं को ही ज्यादा महत्व दिया गया।
राहुल गांधी को भी लिखा: पाल ने राहुल गांधी को भी ईमेल लिख कर बिहार में विधान पार्षदों (एमएलसी) के चुनाव में कांग्रेस की ओर से कम से कम एक ईबीसी (अति पिछड़ी जाति) उम्मीदवार देने का आग्रह किया था। इसमें पाल ने बताया कि बिहार विधान परिषद में अगड़ी जाति के 14, मुस्लिम के 7, एससी-एसटी के 8, ओबीसी के तीन सदस्य हैं, लेकिन ईबीसी का एक भी कांग्रेसी विधान पार्षद नहीं है। ईबीसी को बिहार विधान परिषद भेजे जाने की दलील में कैलाश पाल ने बतााय है कि इनकी आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है और बाकी पार्टियां इन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व दे रही हैं।
पाल काफी समय से नाराज बताए जा रहे हैं। उन्होंने 8 जुलाई को प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा को इस्तीफे की पेशकश की थी। इसमें उन्होंने पिछड़ी व अति पिछड़ी जातियों की महत्वाकांक्षा को उचित स्थान नहीं दिए जाने को कारण बताया था। साथ ही, कहा था कि पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए समय के साथ बदलना जरूरी है।
पार्टी नेतृत्व द्वारा ‘सोशल इंजीनियरिंंग’ का ख्याल नहीं रखे जाने का आरोप ओबीसी व पिछड़ा वर्ग के कई नेताओं का है। हाल ही मेें बिहार प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति और वर्किंग कमेटी की बैठक में कई नेताओं ने यह मुद्दा उठाया। इसमें बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंंह गोहिल भी शामिल थे। पाल ने बताया कि उन्हें बैठक में कहा गया कि येे सब बातें सार्वजनिक रूप से कहने की नहीं हैंं।
अति आत्मविश्वास में है कांग्रेस आलाकमान: नाम सार्वजनिक नहीं किए जाने पर पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि पता नहीं कैसे, पर लगता यही है कि केंद्रीय नेतृत्व को यह अति आत्मविश्वास हो गया है कि महागठबंधन की सरकार बन रही है।
एक नेता ने बताया कि उन्होंने शक्ति सिंह गोहिल से अकेले हुई मुलाकात में साफ कह दिया कि कांग्रेस की सत्ता में आने की कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही है। इस नेता ने भी चुनाव प्रचार समिति की बैठक में पार्टी को सोशल इंजीनियरिंग का ध्यान रखने का सुझाव दिया। साथ ही, कहा कि पार्टी ने पांच साल में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कुुुछ ठोस कदम नहीं उठाया।
ऐसे हुई बीसी-ईबीसी की अनदेखी: कैलाश पाल के मुताबिक जब 2015 में महागठबंधन सरकार बनी तो कांग्रेस को चार मंत्री बनाने का मौका मिला। चार में से दो अगड़ी जाति के और एक-एक मुस्लिम-दलित को मंत्री बनाया गया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष भी ऊंची जाति के नेता को बनाया गया और चार कार्यकारी अध्यक्षों के पद भी दो अगड़ी जाति और एक-एक दलित-मुस्लिम को गया। प्रचार समिति का प्रमुख भी अगड़ी जाति के नेता को बनाया गया। हाल में विधान परिषद चुनाव के लिए भी अगड़ी जाति के समीर कमार सिंह को चुना गया।
बिहार कांग्रेस में नेताओं की इस नाराजगी पर अभी नेतृत्व पूरी तरह शांत है। नेतृत्व अभी इस बात को लेकर भी आश्वस्त नहीं है कि नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा के चुनाव होंगे या टलेंगे। इसलिए न गठबंधन में सीट बंटवारे पर कोई बात आगे बढ़ रही है और न असंतुष्ट नेताओं को साधने के लिए कोई कदम उठाया जा रहा है।
उधर, महागठबंधन में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने राजद पर मनमानी करने का आरोप लगाकर अल्टीमेटम दे रखा है। कांग्रेस मध्यस्थता कर रही है, लेकिन अभी तक कुछ नतीजा नहीं निकला है।