ज्ञानवापी मस्जिद के तालाब से शिवलिंग मिलने के बाद माहौल पूरी तरह से बदल गया है। तकरीबन हर मुस्लिम स्मारक के नीचे मंदिर होने का दावा किय़ा गया जा रहा है। मुस्लिम पक्ष 1991 के एक्ट के तहत फैसला करने की मांग कर रहा है। इसमें 100 साल से पुराने मंदिरों को न छेड़ना शामिल है। एक डिबेट के दौरान सपा नेता ने इस प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला दिया तो संबित पात्रा ने उन्हें करारा जवाब देकर कहा कि अब तो बाबा प्रकट हो गए। चिल्लाकर क्या होगा।
सपा प्रवक्ता अमीक जमई ने कहा कि पूजा स्थल की वैधानिकता का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने कानून की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर बीते साल 12 मार्च को सरकार को नोटिस भी जारी किया था।
जमई ने कहा कि नोटिस जारी होने के बाद यह मामला दोबारा सुनवाई पर नहीं लगा न ही इस मामले में सरकार ने अभी तक कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है। उनका कहना था कि बनारस की कोर्ट को इस एक्ट के तहत काम करना चाहिए था। लेकिन उसने एक्ट को नजरंदाज करके मामले पर फैसला दिया है।
बसपा प्रवक्ता एमएच खान का कहना था कि ये कानून हिंदू, बौद्ध, जैन और सिखों को अपने पूजा स्थलों और तीर्थों का वापस कब्जा पाने से वंचित करता है। उनका कहता था कि ज्ञानवापी का मुकदमा श्रंगार गौरी के दर्शन से जुड़ा था। लेकिन इसकी दिशा ही बदल गई। कोर्ट ने तीन लोगों को नियुक्त कर कमीशन बनाया है। शिवलिंग मिलने की बात पर कोर्ट खुद कह रही है कि बातें लीक करना ठीक नहीं है। तभी एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाया गया है। उन्होंने 1937 के एक फैसले का हवाला देकर कहा कि कोर्ट ने पांच महिलाओं की तरफ से दायर याचिका को खारिज कर दिया है।
संबित पात्रा ने कहा कि शिवलिंग का मिलना बताता है कि ज्ञानवापी मंदिर तोड़कर बनाई गई। उन्होंने कहा कि अब तो बाबा प्रकट हो गए। चिल्लाकर क्या होगा। उनका कहना था कि जब राममंदिर नहीं बना को सब लोग चीख चीख कर तारीख पूछते थे। मंदिर बना दिया तो फिर दूसरी बात करने लगे। उनका कहना था कि जो सच सामने आ रहा है कोर्ट उसके हिसाब से एक्शन लेगी। इसमें किसी को गुस्सा करने की जरूरत नहीं है। 1991 एक्ट पर उनका कहना था कि कोर्ट हर चीज परर विचार करके ही कोई फैसला देगी।