भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की संसदीय बोर्ड की बैठक में लड्डू नहीं मिलना पार्टी सांसदों के बीच चर्चा का विषय़ बन गया। दरअसल बीते सोमवार (18-11-2019) से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र से पहले भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक हुई थी। इस बैठक में आए पार्टी के ज्यादातर सासंदों को उम्मीद थी कि उनके बीच लड्डू का वितरण किया जाएगा। सांसदों को लड्डू मिलने की उम्मीद इसलिए थी क्योंकि हाल ही अयोध्या में राम मंदिर पर ‘सुप्रीम’ फैसला रामलला के पक्ष में आया था।

राम मंदिर का मुद्दा बीजेपी अरसे से उठाती रही है और ऐसे में अदालत द्वारा राम मंदिर बनाने की इजाजत मिलने के बाद भाजपा नेताओं ने इस फैसले को काफी सकारात्मक रूप से लिया था। लिहाजा पार्टी सांसदों को उम्मीद थी कि बोर्ड की बैठक में कोर्ट के फैसले पर जश्न होगा। हालांकि मिठाई के कुछ डिब्बे पार्टी कार्यालय में लाए भी गए थे लेकिन इनमें से किसी भी डिब्बे में लड्डू नहीं था।

राम मंदिर के फैसले पर लड्डू बांटकर खुशी नहीं मनाए जाने पर बैठक में मौजूद कुछ सांसदों ने उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद जिले के सांसद लालू सिंह से पूछ लिया कि अयोध्या पर फैसले का जश्न नहीं मना रहे क्या? दरअसल पार्टी हाईकमान ने पहले ही साफ-साफ निर्देश दे दिया था कि कोर्ट के फैसले पर कोई जश्न नहीं होगा और ना ही मिठाईयां बांटी जाएंगी।

शीर्ष नेतृत्व ने यह फैसला इसलिए लिया था ताकि कोर्ट के फैसले पर जश्न मना कर पार्टी किसी विवाद में ना फंसे। यहां तक कि आलाकमान ने सभी राज्यों के पार्टी नेताओं और सांसदों को साफ-साफ निर्देश दिया है कि अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसी भी तरह का जश्न नहीं मनाया जाएगा।

आपको बता दें कि बीते 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने अयोध्या पर फैसला सुना कर अरसे से चले आ रहे इस विवाद और पर इसपर होने वाली राजनीति पर एक तरह से विराम लगा दिया है। अदालत ने अपने ऐतिहासिक फैसले में रामलला विराजमान को मुख्य पक्षकार माना है। अदालत ने निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया है।

अदालत ने मुस्लिम पक्षकारों को अयोध्या में ही अलग से 5 एकड़ भूमि मस्जिद के लिए दिए जाने का फैसला भी सुनाया था। कोर्ट के इस फैसले का ज्यादातर पार्टियों ने स्वागत और सम्मान किया था। यहां बता दें कि अदालत के फैसले के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया है।