आंदोलन के दौरान किसानों की मौत से जुड़ा कोई रिकॉर्ड नहीं, कृषि मंत्री तोमर ने राज्यसभा को दी लिखित जानकारी
कहा कि सरकार ने बैठक के दौरान हाल ही में लाए गए नए कृषि कानूनों की कानूनी वैधता सहित उनसे होने वाले लाभों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। फिर भी, किसान यूनियनों ने कृषि कानूनों पर चर्चा करने पर कभी भी सहमति व्यक्त नहीं की।

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के दौरान हुई किसानों की मौत से संबंधित कोई रिकार्ड कृषि मंत्रालय के पास नहीं है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह भी बताया कि सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 दौर की वार्ता हुई लेकिन इस दौरान कभी भी किसान संगठन कृषि कानूनों पर चर्चा करने को सहमत नहीं हुए। वे सिर्फ इन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे।
यह पूछे जाने पर कि इस चल रहे आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों और बच्चों को पिछले दो महीनों के दौरान प्रदान किए गए पुनर्वास और सहायता का ब्योरा क्या है, तोमर ने कहा, ‘कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के पास ऐसा कोई रेकार्ड नहीं है।’
उन्होंने कहा कि सरकार ने ‘सक्रिय रूप से एवं निरंतर’ आंदोलनकारी किसान संगठनों के साथ काम किया तथा सरकार एवं आंदोलनकारी किसान यूनियनों के बीच इस मामले के समाधान के लिए 11 दौर की वार्ता हुई। समझौते के लिए विभिन्न दौर की बैठकों के दौरान सरकार ने आंदोलनरत किसान यूनियनों से कृषि कानूनों पर खंडवार विचार-विमर्श करने का अनुरोध किया था, ताकि जिन खंडों में उनको समस्या है उनका समाधान किया जा सके।
उन्होंने कहा कि सरकार ने बैठक के दौरान हाल ही में लाए गए नए कृषि कानूनों की कानूनी वैधता सहित उनसे होने वाले लाभों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। फिर भी, किसान यूनियनों ने कृषि कानूनों पर चर्चा करने पर कभी भी सहमति व्यक्त नहीं की। वे केवल कृषि कानूनों को वापस लेने पर अड़े रहे।’
इस बीच, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद मलूक नागर ने शुक्रवार को लोकसभा में सरकार से आग्रह किया कि तीनों नए कृषि कानूनों का क्रियान्वयन तीन साल के लिए स्थगित किया जाए, ताकि किसान आंदोलन का समाधान निकल सके। उन्होंने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया। उत्तर प्रदेश के बिजनौर से लोकसभा सदस्य ने कहा कि किसान आंदोलन कई महीनों से चल रहा है और इसमें किसान पिस रहे हैं। सरकार को जल्द निर्णय लेना चाहिए।
नागर ने सरकार से आग्रह किया, ‘सरकार पहले ही इन कानूनों का क्रियान्वयन डेढ़ साल तक स्थगित करने की बात कर चुकी है। अगर आप तीन साल के लिए टाल देते हैं, तो मुझे लगता है कि कुछ न कुछ हल निकल जाएगा। इससे पूरी दुनिया में अच्छा संदेश जाएगा।’ बसपा सांसद संगीता आजाद ने भी नागर की इस मांग का समर्थन किया।