केंद्र सरकार ने संसद में बुधवार को बताया कि कश्मीर घाटी में आर्टिकल 370 हटने के बाद से एक भी बाहरी व्यक्ति ने प्लॉट नहीं खरीदा है। आर्टिकल 370 को हटे करीब ढाई साल हो चुके हैं, लेकिन घाटी में प्लॉट की खरीददारी जीरो है।
बुधवार को राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्रालय ने जानकारी दी कि पिछले ढाई साल में जम्मू कश्मीर में सात प्लॉट बाहरी लोगों ने खरीदे हैं। ये सातों प्लॉट जम्मू संभाग में खरीदे गए हैं। इनमें से एक भी प्लॉट कश्मीर घाटी में नहीं खरीदे गए हैं। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक लिखित उत्तर में कहा- “सभी सात प्लॉट जम्मू संभाग में स्थित हैं।”
सीपीएम सांसद झरना दास बैद्य ने प्लॉट से संबंधित सवाल पूछा था, जिसका जवाब नित्यानंद राय दे रहे थे। सीपीएम सांसद ने पूछा था कि केंद्र शासित प्रदेश में जमीन की खरीद और बिक्री की स्थिति क्या है? क्या कोई व्यक्ति जो वहां से नहीं है वह भी वहां जमीन खरीद सकता है?
आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद सरकार ने दावा किया था कि जम्मू कश्मीर में निवेश आएगा। लोग यहां आकर कारोबार शुरू करेंगे। तब सोशल मीडिया पर खूब चर्चा चली थी कि आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में प्लॉट खरीदना आसान होगा। लेकिन सरकार ने जो डाटा आज संसद में दिया है उससे स्पष्ट हो रहा है कि प्लॉट वाला सपना अभी परवान नहीं चढ़ा है।
वहीं कांग्रेस के सासंद के.सी. वेणुगोपाल के एक प्रश्न के जवाब में नित्यानंद राय ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में हर साल नागरिक हत्याओं की संख्या 37-40 रही है। उन्होंने कहा- “आतंकवादियों द्वारा कुछ नागरिकों को निशाना बनाने के प्रयासों के बावजूद, बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक कश्मीर घाटी में बने रहे थे। हालांकि कड़ाके की सर्दी की शुरुआत में वो हमेशा की तरह घर चले गए। इसके अलावा, पिछले कुछ महीनों के दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक जम्मू-कश्मीर गए हैं।
बात दें कि 2019 में केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया था। उसके बाद अक्टूबर 2020 में,सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी और भूमि राजस्व अधिनियम में संशोधन किया था। जिससे देश के अन्य हिस्सों से किसी के लिए भी कृषि भूमि सहित जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का मार्ग खुल गया था।