मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, के चंद्रशेखर राव और राकांपा नेता शरद पवार समेत नौ विपक्षी नेताओं के नेताओं ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर केंद्रीय एजंसियों (सीबीआइ – ईडी) के घोर दुरुपयोग का आरोप लगाया। इन नेताओं ने लिखा कि विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय जांच एजंसियों के खुल्लमखुल्ला दुरुपयोग को देखें तो ऐसा लगता है कि हम लोकतंत्र से निरंकुशता की ओर बढ़ रहे हैं। पत्र में हाल में गिरफ्तार किए गए आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया के मामले का भी जिक्र किया गया है।
पत्र पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस (जम्मू-कश्मीर) के नेता फारूक अब्दुल्ला, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने हस्ताक्षर किए हैं।
पत्र में ‘राज्यपाल और केंद्रीय जांच एजंसियों के संवैधानिक कार्यालयों के दुरुपयोग’ और ‘चुनावी अखाड़े के बाहर लड़ाई’ की कड़ी निंदा की है। इन नेताओं ने कहा कि यह देश के लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है। चिट्ठी में कहा गया है कि लंबे समय तक जांच और पूछताछ के नाम पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी, 2023 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने बिना किसी सबूत के गिरफ्तार कर लिया था और सिसोदिया पर लगाए गए आरोप निराधार व राजनीतिक साजिश से परिपूर्ण हैं।
चिट्ठी में सिसोदिया की गिरफ्तारी को दुर्भावनापूर्ण जांच व राजनीतिक विरोधियों को डराने के उद्देश्य से की गई ‘कार्रवाई’ बताया है और कहा है कि ‘भाजपा के निरंकुश शासन में भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों पर खतरा मंडरा रहा है।’चिट्ठी में यह आरोप भी लगाया गया है कि भाजपा में शामिल हुए विपक्षी नेताओं के मामलों की जांच में जांच एजंसियां संयम बरत रही हैं।
इसके लिए कांग्रेस के पूर्व सदस्य और वर्तमान में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के मामले का हवाला दिया गया है। पत्र में कहा गया है कि बिस्व के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके खिलाफ जांच पर पानी फिर गया। इसी तरह तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पूर्व नेता शुभेंदु अधिकारी और मुकुल राय के मामलों का जिक्र किया गया है।