अफजल गुरु से संबंधित विवादित आयोजन के सिलसिले में जेएनयू से निष्कासित छात्र अनिर्बान भट्टाचार्य को पिछले साल अगस्त में ‘मुजफ्फरनगर अभी बाकी है’ डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग के लिए गुरुवार को एक कारण बताओ नोटिस दिया गया। नोटिस में कहा गया कि अगस्त 2015 में चीफ प्रॉक्टर के कार्यालय में आपके खिलाफ शिकायत आई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि आपने प्रशासन की मंजूरी के बिना गोदावरी ढाबा के पास की गई ‘मुजफ्फरनगर अभी बाकी है’ डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग में हिस्सा लिया था।
इसमें कहा गया कि आपको चार मई को प्रॉक्टर के सामने पेश होने और अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाता है। आप अगर अपने बचाव में कोई सबूत देना चाहे तो वे लेकर आ सकते हैं। संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ जेएनयू परिसर में एक विवादित कार्यक्रम के आयोजन के सिलसिले में दायर देशद्रोह के मामले में अनिर्बान, जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया था। तीनों इस समय जमानत पर रिहा है।
विश्वविद्यालय की जांच समिति की सिफारिशों के आधार पर कन्हैया पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया है जबकि उमर को एक सेमेस्टर के लिए निष्कासित किया गया और उसपर 20,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया। अनिर्बान को 15 जुलाई तक के लिए संस्थान से निष्कासित किया गया है और उसे 23 जुलाई के बाद से पांच साल के लिए किसी भी पाठ्यक्रम में दाखिला लेने या किसी भी शैक्षणिक गतिविधि में हिस्सा लेने से रोक दिया गया है।
उसे अपनी थीसिस जमा करने के लिए आठ दिन का समय दिया गया, ऐसा ना करने पर उसे नए सिरे से अपनी पीएचडी की पढ़ाई शुरू करनी होगी जो वह पांच साल बाद ही कर पाएगा। अनिर्बान ने कारण बताओ नोटिस को लेकर कहा -‘मेरे कमरे के दरवाजे पर एक अलग सी दस्तक हुई। मुझे लग रहा था कि वह मेरे निष्कासन के हास्यास्पद आदेश के अनुरूप मुझसे छात्रावास का कमरा खाली करने की मांग को लेकर किसी भी समय आ सकते हैं। लेकिन जब मैंने दरवाजा खोला, अंदाजा लगाइए क्या हुआ होगा, मुझे प्रॉक्टर के कार्यालय से भेजे गए एक और नोटिस से सम्मानित किया गया। नोटिस इतने लंबे समय बाद और ऐसे समय में क्यों भेजा गया जब अनिर्बान को पहले ही निष्कासित किया जा चुका है, इसे लेकर प्रॉक्टर से उनकी प्रतिक्रिया मांगने के लिए किए गए फोन कॉल और मैसेज का जवाब नहीं मिला।
जहां संस्थान ने अनिर्बान और उमर दोनों को ही परिसर में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और सद्भाव बिगाड़ने का दोषी गया, वहीं दोनों को अलग-अलग सजाएं दी गर्इं। संस्थान ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि यह ‘पूर्व के आचरण के रिकार्ड पर आधारित है’। एबीवीपी के विरोध प्रदर्शन के बाद जेएनयू ने पिछले साल अगस्त में डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग रोक दी थी। संस्थान ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे पर आधारित डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग के लिए पूर्व अनुमति नहीं लिए जाने की बात कह यह कदम उठाया था।