एनआईए जांच में दावा, कानपुर रेल हादसे में आईएसआई की भूमिका
इस हादसे में कम से कम 150 लोग मारे गए थे।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पिछले साल इंदौर-पटना एक्सप्रेस के पटरी से उतरने के सिलसिले में गिरफ्तार तीन लोगों के इन दावों पर गौर कर रही है कि इस घटना को पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के कहने पर अंजाम दिया गया था। इस हादसे में कम से कम 150 लोग मारे गए थे। मोती पासवान, उमा शंकर और मुकेश यादव…नाम के तीनों लोगों को इस हफ्ते की शुरुआत में पुलिस ने बिहार के पूर्वी चंपारण जिला से गिरफ्तार किया था। उन्होंने जिले के घोड़ासाहन रेलवे स्टेशन पर पिछले साल एक अक्तूबर को आईईडी बिछाने के लिए तीन लाख रुपये मिलने का दावा किया था। बिहार पुलिस ने कथित तौर पर आईईडी बरामद की थी।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एनआईए अधिकारियों की एक टीम आरोपियों की जांच करने और उनके दावे को सत्यापित करने के लिए बिहार गई थी। उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय को एक पत्र भेज कर आईईडी बरामदगी मामले की जांच को लेकर एनआईए के लिए इजाजत मांगी गई थी। सरकार से एक औपचारिक आदेश शीघ्र आने की उम्मीद है जिसके बाद इस विषय में एक मामला दर्ज किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तार लोगों ने पिछले साल ट्रेन के पटरी से उतरने की घटना में आईएसआई की संभावित भूमिका को कथित तौर पर कबूल किया है। उन्होंने आईएसआई के लिए काम करने का भी दावा किया है। गृह मंत्रालय ने बिहार सरकार और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों से गिरफ्तार लोगों और बिहार पुलिस को दिए उनके बयान के बारे में रिपोर्ट मांगा है।
केंद्रीय खुफिया एजेंसियां भी तीनों आरोपियों से पूछताछ कर रही हैं। यदि इन आरोपियों का दावा सही साबित होता है तो भारत में ट्रेन के पटरी से उतरने का यह पहला मामला होगा जिसे पाकिस्तानी एजेंसी के कहने पर अंजाम दिया गया। सूत्रों ने बताया कि आईएसआई के अपने एजेंट बृजेश गिरि को बिहार में लोकप्रिय ट्रेनों को निशाना बनाते हुए रेल पटरियों पर विस्फोटों को अंजाम देने के लिए 30 लाख रूपया अदा करने संबंधी बिहार पुलिस के दावे की पुष्टि करते हुए नेपाल से एक रिपोर्ट आने की बात कही जा रही है। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां आरोपयिों से संदिग्ध संबंध होने के सिलसिले में गजेंद्र शर्मा और राकेश यादव नाम के दो अन्य लोगों की पूर्वी चंपारण इलाके में तलाश कर रही है।
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