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क्या यमुना पर खनन के लिए अस्थाई पुल बनाए जा सकते हैं? NGT ने मांगा केंद्र सरकार से जवाब

फरवरी 2023 में NGT ने कहा था कि खनन की सुविधा के लिए नदी पर अस्थायी पुलों के निर्माण के लिए कोई अनुमति नहीं दी जा सकती है।

temporaty bridge| NGT| Yamuna
सोनीपत में यमुना पर अस्थायी पुल (Express Photo by Abhinaya Harigovind, Pavneet Singh Chadha)

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने खनन के लिए नदियों पर अस्थायी पुलों के निर्माण की अनुमति पर जल शक्ति मंत्रालय और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) से जवाब मांगा है। ट्रिब्यूनल माइनिंग की सुविधा के लिए हरियाणा के सोनीपत में यमुना पर अस्थायी पुल के निर्माण से संबंधित एक मामले पर विचार कर रहा था।

अवैध खनन से प्रभावित होता है नदी का प्रवाह

मामले में सोनीपत निवासी आवेदक ने कहा था कि नदी पर पुल के निर्माण के चलते पानी का मार्ग बदल गया है और किसानों की कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। पिछले महीने, दिल्ली के जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दावा किया था कि यमुना पर पुल और अवैध खनन नदी के प्रवाह को बाधित कर रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप दिल्ली के वजीराबाद में नदी के बहाव में पानी का स्तर कम हो गया है। इंडियन एक्सप्रेस ने सोनीपत में कई क्षेत्रों का दौरा किया था और पाया कि खनन की सुविधा के लिए यमुना में अस्थायी पुल बनाए गए थे।

जिसके बाद हाल के एक आदेश में NGT ने दोनों मंत्रालयों से कहा है कि वे खनन के लिए नदी की धारा में/में अस्थायी पुलों/सड़कों के निर्माण की जरूरत के पहलुओं पर अपनी प्रतिक्रिया का विशेष रूप से उल्लेख करें और इसके प्रभाव के बारे में आवश्यक जानकारी दें। साथ ही पूरे देश में खनन के लिए नदी की धारा में ऐसे अस्थायी पुलों, सड़कों, मार्गों के निर्माण के बारे में भी जानकारी प्रदान करें।

खनन की सुविधा के लिए नदी पर नहीं बनाए जा सकते अस्थायी पुल- NGT

फरवरी 2023 में मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा था कि रेत खनन की सुविधा के लिए नदी पर इस तरह के पुलों के निर्माण के लिए आगे कोई अनुमति नहीं दी जा सकती है। यह आदेश हरियाणा सिंचाई विभाग द्वारा अदालत को सूचित किए जाने के बाद आया कि 2021 में एक नीति तैयार की गई थी जिसमें पानी के प्रवाह की अनुमति देने के लिए पाइपलाइनों के साथ नदी की खाड़ियों पर अस्थायी पथ बनाने की अनुमति दी गई थी। खनन कार्य के लिए बने इन रास्तों के लिए खनन एजेंसियों को खनन विभाग के माध्यम से सिंचाई विभाग को आवेदन करना होगा। इन रास्तों को ठेकेदारों द्वारा 30 जून तक हटाया जाना है क्योंकि मानसून के मौसम में खनन की अनुमति नहीं है।

इस मामले में 22 मार्च को अपने ताजा आदेश में एनजीटी ने कहा कि हरियाणा में रेत खनन और संबद्ध गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए यमुना पर किसी भी अस्थायी पुल के निर्माण के लिए कोई और अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके विपरीत अगले आदेश तक काम करना जारी रहेगा। 19 अप्रैल 2023 को इस मामले पर दोबारा विचार किया जाएगा।

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First published on: 02-04-2023 at 14:38 IST