राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) गणवेष (ड्रेस) में बदलाव की खबरों के बीच आखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने साफ किया है कि नई वर्दी का रंग खाकी नहीं होगा। मीडिया में चर्चा थी कि नई ड्रेस भी खाकी रंग की होगी, लेकिन वैद्य ने इसे गलत बताया है। उहोंने पत्रकारों से कहा, ‘गणवेष (ड्रेस) में बदलाव के लिए कई प्रस्ताव आए हैं। मीटिंग के दौरान इन पर चर्चा की जाएगी। ड्रेस के रंग को लेकर भी कई तरह के प्रस्ताव आए हैं, जिन पर चर्चा की जा रही है, लेकिन यह खाकी नहीं होगा।’ हालांकि, वैद्य ने इस बात की पुष्टि जरूर कि आरएसएस कार्यकर्ता अब हाफ पैंट की जगह फुल पैंट पहनेंगे।
वैद्य ने बताया कि 2010 में भी ड्रेस बदलाव पर चर्चा हुई थी, लेकिन तब आम सहमति नहीं बन सकी थी। आपको बता दें कि शुक्रवार से आरएसएस की सबसे बड़ी ईकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक राजस्थान के नागौर में शुरू हो गई है। इसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया भी शामिल होंगे।
वैसे यह पहली बार नहीं है, जब आरएसएस की ड्रेस बदलने पर विचार की बात सामने आई हो। इससे पहले नवंबर 2015 में आरएसएस की रांची में बैठक हुई थी। उस मीटिंग में भी नई यूनिफॉर्म पर चर्चा हुई थी। तब सूत्रों ने दावा किया था कि संघ के नेता दो विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। एक तो सफेद टी-शर्ट (कोई दूसरा रंग भी चल सकता है), काली पतलून, काली टोपी (जो अभी भी चल रही है), सफेद कपड़े के जूते और खाकी के मोजे को यूनिफॉर्म में शामिल किए जाने का विकल्प रखा गया है। दूसरे विकल्प में पूरी आस्तीन वाली सफेद शर्ट, पैंट (खाकी, नेवी ब्लू, ब्लू या ग्रे में से किसी कलर का), चमड़े या रेग्जिन के काले जूते, खाकी मोजे, कपड़े की बेल्ट और काली टोपी को रखा गया है। माना जा रहा है कि आरएसएस की 50 हजार शाखाएं हैं। हर शाखा में दस हजार स्वयंसेवक हैं। ऐसे में पांच लाख नए यूनिफॉर्म की जरूरत होगी।
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