Beating Retreat सेरेमनी से अबाइड बाय मी गीत को इस साल भी हटा दिया गया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ये गीत बहुत ज्यादा भाता था। 29 जनवरी को होने वाले समारोह बीटिंग द रिट्रीट में इसे बजाया जाता है। ये समारोह महात्मा गांधी की पुण्यताथि की पूर्व संध्या पर आयोजित किया जाता है। बीटिंग रिट्रीट में जिन 26 धुनों को शामिल किया गया है उनकी एक सूची जारी हुई है उसमें अबाइड बाय मी नहीं है। 1950 से हर साल इस गीत को शामिल किया जाता रहा है।
बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन गणतंत्र दिवस समारोह की समाप्ति का सूचक होता है। यह आयोजन हर साल 29 जनवरी को विजय चौक पर किया जाता है। रायसीना हिल्स पर जब सूरज अस्त होता है तब राजपथ पर मिलिट्री बैंड इसका प्रदर्शन करता है। गणतंत्र दिवस के आयोजन को खास माना जाता है।
ये पहला मौका नहीं है जब इस गीत को सेरेमनी से हटाया गया है। 2020 में हुए बीटिंग द रिट्रीट के समारोह से भी इस गीत को हटाया था। लेकिन जमकर मचे हो हल्ले के बाद अबाइड बाय मी को पिछले साल के समारोह का हिस्सा बनाया गया था। इसे 19वीं सदी में स्कॉटलैंड के एंग्लिकन हेनरी फ्रांसिस लाइट ने इसे लिखा था। इस गीत को क्रिश्चियन प्रार्थना माना जाता है।
हालांकि, इतिहास में दो मौके ऐसे भी आए जब 1950 में भारत के गणतंत्र बनने के बाद बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम को दो बार रद्द करना पड़ा। 27 जनवरी 2009 को तत्कालीन राष्ट्रपति वेंकटरमन के निधन के चलते बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम रद्द कर दिया गया था तो 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप के कारण बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा था।
सरकार की तरफ से जारी प्रोग्राम के मुताबिक इस दफा समारोह की शुरुआत बुग्लर्स द्वारा की जाएगी। उसके बाद वीर सैनिक द्वारा मास बैंड और छह धुनों के साथ पाइप्स और ड्रम बैंड द्वारा शुरू किया जाएगा। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के बैंड तीन धुन बजाएंगे। इसके बाद वायु सेना बैंड द्वारा चार धुनें बजाइ जाएंगी, जिसमें फ्लाइट लेफ्टिनेंट एल एस रूपचंद्र द्वारा एक विशेष लडाकू धुन शामिल होगी।