नक्सल अटैकः कोबरा कमांडो का ऑडियो वायरल, बताया- 8 किमी तक पीछे आए नक्सली, हथियारों का था अकूत भंडार, सुनाई बहादुरी कहानी
सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह की रिहाई को लेकर प्रयास जारी हैं। जवान की रिहाई के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस नक्सलियों के साथ मध्यस्थों के जरिए रास्ता ढूंढ रही है।

छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा बॉर्डर पर शनिवार को नक्सलियों के साथ हुए मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए थे। जबकि कई अन्य घायल हो गए। घटना के बाद कुछ ऑडियो सामने आए हैं। जिसमें कोबरा कमांडो बता रहे हैं कि कि नक्सलियों के पास हथियारों का अकूत भंडार था। नक्सलियों ने आठ किमी तक उन लोगों का पीछा किया था। अभी तक पुलिस की तरफ से इस ऑडियों को लेकर कुछ भी नहीं कहा गया है।
वायरल वीडियो में कहा जा रहा है कि धमाका इतना बड़ा था कि लोग दहल जाए। जवान कहते हुए सुने जा रहे हैं कि हमला इतना मजबूत था कि इस बार 76 से भी अधिक जवान शहीद हो जाते। लेकिन कोबरा, एसटीएफ और सभी ने मिलकर जमकर मुठभेड़ किया। हमने जमकर लड़ाई लड़ी। हमारे कोबरा के लोगों ने हथियार बचाने के लिए भी बहुत संघर्ष किया। साथ ही जवान की तरफ से कथित तौर पर कहा जा रहा है कि चॉपर के लिए भी उन्हें काफी इंतजार करना पड़ा। सीआरपीएफ के आने के बाद नक्सल वापस गए वो आठ किमी तक हमारे पीछे आए थे।
इधर सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह की रिहाई को लेकर प्रयास जारी हैं। जवान की रिहाई के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस नक्सलियों के साथ मध्यस्थों के जरिए रास्ता ढूंढ रही है। पुलिस की तरफ से लगातार प्रयास किया जा रहा है कि जवान को सुरक्षित छुड़ाया जाए। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार माओवादी भी बिना किसी नुकसान के कोबरा कमांडो को छोड़ कर लोगों के बीच संदेश देना चाहते हैं।
नक्सलियों की तरफ से लापता जवान को लेकर कहा गया था कि उनकी जवानों के साथ उनकी कोई दुश्मनी नहीं है। माओवादियों की तरफ से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि सरकार जल्द से जल्द वार्ताकारों के नाम घोषित करे जिससे की आगे की बातचीत की जा सके।
बताते चलें कि कई मध्यस्थ पहले से ही सरकार और नक्सलियों के बीच कड़ी का काम करते रहे हैं। सरकार की तरफ से प्रयास किया जा रहा है कि जवान की बिना शर्त वापसी हो। एक पुलिस अधिकारी ने कहा है कि पिछली घटनाओं से संकेत मिलते हैं कि माओवादी बिना किसी मांग के बंधक को रिहा करने पर सहमत हो जाएंगे।