पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के निशाने पर फिर से एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। 2015 के वाकये का जिक्र कर बीजेपी नेता ने कहा कि मोदी तब उनको BRICS Bank का प्रेजीडेंट बनाना चाहते थे। लेकिन उन्होंने ऑफर को ठुकरा दिया था। उनका कहना है कि मैंने मोदी- शाह के साथ 2015 में हुई एक सेपरेट मीटिंग में दोनों को चीन और रूस के इरादों के प्रति आगाह किया था। मोदी और शाह मेरी सलाह को याद करें।
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मोदी रूस और चीन की सहमति के बाद उनको BRICS Bank का प्रेजीडेंट बनाने पर आमादा थे। लेकिन उनको लगता था कि भारत को इन दोनों देशों से दूर रहना चाहिए। अब जबकि रूस पूरी तरह से चीन के सामने नतमस्तक हो गया है तो मोदी- शाह याद करें कि उन्होंने दोनों को क्या नसीहत दी थी। बकौल स्वामी भारत का हित इन दोनों ही देशों का पिछलग्गू बनने में नहीं है। चीन हमें कभी नहीं बख्शेगा। रूस जिस तरह से चीन के पीछे चल पड़ा है उसमें भारत को दोनों ही देशों से बराबर की दूरी बनाने की जरूरत है। मोदी को इस बारे में सोचना ही होगा।
पीएम मोदी पर अक्सर तीखे हमले करते हैं स्वामी
स्वामी बीजेपी के टिकट पर राज्यसभा सांसद बने थे। 2009 में वो भाजपा में आए थे। उससे पहले वो जनता पार्टी के झंडे तले अपनी राजनीति करते थे।उनको राज्यसभा में भेजने का फैसला मोदी- शाह ने ही किया था। लेकिन उसके बाद के दौर में स्वामी की दोनों से अनबन होने लगी। हालात यहां तक खराब हुए कि स्वामी सरेआम पीएम और शाह की आलोचना करने लग पड़े। पीएम की नाराजगी की वजह से ही उनको राज्यसभा में फिर से नहीं भेजा गया। वैसे स्वामी का आंकड़ा कांग्रेस से भी 36 का है। नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार को कोर्ट तक घसीटने का काम उन्होंने ही किया है।
बीजेपी नेता चीन से नरेंद्र मोदी के संबंधों को लेकर अक्सर हमलावर रहते हैं। उनका यहां तक कहना है कि चीन ने भारत के कई अहम इलाकों पर कब्जा कर लिया है। लेकिन मोदी चीन को लाल आंख दिखाने से भी गुरेज करते हैं। जबकि जब वो पीएम नहीं थे तो मनमोहन सिंह को इसी मसले पर घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। स्वामी का कहना है कि मोदी चीन के सामने पूरी तरह से हथियार डाल चुके हैं। यह भारत के हित में नहीं है।