…तो क्या SC, ST, OBC की हकमारी कर रही मोदी सरकार, संयुक्त सचिव के इन पदों पर आरक्षण खत्म?
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग के विभागीय फाइल नोटिंग के मुताबिक, "एकल पद संवर्ग में आरक्षण लागू नहीं होता है। चूँकि इस योजना के तहत भरा जाने वाला प्रत्येक पद एकल पद है, इसलिए इस भर्ती में आरक्षण लागू नहीं है।” श्यामलाल यादव की रिपोर्ट..

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार प्राइवेट क्षेत्र के विशेषज्ञों को सीधे संयुक्त सचिव स्तर के पद पर नियुक्त करने की योजना पर काम कर रही है। 3 जून को डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग के सचिव ने विभागीय बैठक में एक प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं, जिसके तहत ऐसे 400 विशेषज्ञों को सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम के तहत डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर के पोस्ट पर भर्ती की जानी है। सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मिले जवाब के मुताबिक इन पदों पर होने वाली बहाली में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को कोई आरक्षण नहीं दिया जाएगा।
आरटीआई के तहत इंडियन एक्सप्रेस को मिले डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग के विभागीय फाइल नोटिंग के मुताबिक, “एकल पद संवर्ग में आरक्षण लागू नहीं होता है। चूँकि इस योजना के तहत भरा जाने वाला प्रत्येक पद एकल पद है, इसलिए इस भर्ती में आरक्षण लागू नहीं है।” विभागीय जानकारी के मुताबिक ये सभी अलग-अलग विभागों के एकल पद के लिए नियुक्त किए जाएंगे। अगर ये सभी नियुक्तियां एक संवर्ग में होतीं तो नौ पदों में से दो पद ओबीसी और एक एससी के लिए आरक्षित होता, मगर ऐसा नहीं होने जा रहा है।
बता दें कि पिछले महीने अप्रैल में संघ लोक सेवा आयोग ने संयुक्त सचिव रैंक के लिए पिछले साल निकली इसी तरह की वैकेंसी के लिए कुल नौ उम्मीदवारों को फाइनल किया है। इनमें अंबर दूबे, राजीव सक्सेना, सुजीत कुमार वाजपेयी, दिनेश दयानंद जगदाले, काकोली घोष, भूषण कुमार, अरुण गोयल, सौरव मिश्रा और सुमन प्रसाद सिंह शामिल हैं, जो जल्द ही विभागों में अपने-अपने पद पर योगदान दे सकते हैं। जब इन उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया चल रही थी, तब 29 नवंबर, 2018 को डीओपीटी की अतिरिक्त सचिव सुजाता चतुर्वेदी ने यूपीएससी के सेक्रेटरी राकेश गुप्ता को एक पत्र लिखा जिसमें कहा गया है, “ऐसे उम्मीदवारों पर विचार किया जाय जो राज्य सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र, स्वायत्त निकायों, सांविधिक निकायों, विश्वविद्यालयों के मूल विभाग में ग्रहणाधिकार के साथ प्रतिनियुक्ति (लघु अवधि अनुबंध सहित) पर लिए जाएंगे। प्रतिनियुक्ति पर नियुक्ति के लिए अनिवार्य आरक्षण निर्धारित करने के कोई निर्देश नहीं हैं।”
चतुर्वेदी ने अपने पत्र में आगे लिखा है, “इन पदों को भरने की वर्तमान व्यवस्था को प्रतिनियुक्ति के घनिष्ठ निकट समझा जा सकता है, जहाँ SC / ST / OBC के लिए अनिवार्य आरक्षण आवश्यक नहीं है। हालाँकि, यदि विधिवत अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार योग्य हैं, तो उन पर विचार किया जाना चाहिए और समग्र प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए ऐसे ही मामलों में ऐसे उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जा सकती है।” इस पत्र पर यूपीएससी ने और स्पष्टता चाही और पूछा कि इन पदों के लिए विभिन्न सामाजिक श्रेणियों के कितने उम्मीदवारों का चयन किया गया था। इसके जवाब में डीओपीटी ने कहा कि यह सूचित किया जाता है कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की आवश्यकता के अनुसार, उम्मीदवारों का चयन अनुबंध के आधार पर संयुक्त सचिव (लैटरल एंट्री) स्तर के पदों के लिए किया जाना है। DoPT ने स्पष्ट किया कि इस भर्ती मामले में कोई आरक्षण नहीं होगा।
जब यूपीएससी से कैटगरी वाइज आवेदकों की जानकारी मांगी गई तो आयोग ने यह कहते हुए कैटगरी वाइज जानकारी देने से इनकार कर दिया कि डीओपीटी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक लैटरल एंट्री के तहत भरे जाने वाले इन पदों में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए कोई आरक्षण लागू नहीं है, इसलिए कोटिवार जानकारी मुहैया नहीं कराई जा सकती। हालांकि, 15 मई 2018 को डीओपीटी द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि केंद्र सरकार के पदों एवं सेवाओं के लिए भरे जाने वाले सभी अस्थाई पदों जिसकी सेवा अवधि 45 दिन या उससे अधिक हो, उसमें एससी, एसटी और ओबीसी कैटगरी के उम्मीदवारों को आरक्षण दिया जाएगा। डीओपीटी ने यह सर्कुलर गृह मंत्रालय के 24 सितंबर 1968 के जारी सर्कुलर प्रावधानों के तहत जारी किया था।
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