महाराष्ट्र के एक जिले ओस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर एकनाथ शिंदे सरकार ने बांबे हाईकोर्ट में दाखिल कराए गए अपने हलफनामे में कहा है कि वहां के लोग खुशी के मारे झूम रहे थे। सरकार का ये भी कहना है कि नाम परिवर्तन के बाद न तो वहां किसी भी तरह का वैमनस्य फैला और न ही कोई दंगा हुआ। ओस्मानाबाद के लोग सरकार के इस फैसले से काफी खुश दिखे।
शिंदे सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट ने ओस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सरकार की तरफ से जवाब दाखिल किया। सरकार ने अपने जवाब में एक अतिरिक्त हलफनामा भी दायर किया जिसमें ओरंगाबाद का नाम छत्रपति शंभाजी नगर करने के मामले में दाखिल जनहित याचिका को खारिज करने की मांग की गई। हलफनामों में कहा गया कि इन दोनों मामलों को महाराष्ट्र हाईकोर्ट की प्रिंसिपल बेंच न सुने। बल्कि इसकी सुनवाई औरंगाबाद की बेंच करे, क्योंकि ये दोनों मामले उसके ही अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
जनहित याचिका में हाईकोर्ट से कहा गया था कि महाराष्ट्र सरकार का जिलों के नाम तब्दील करने का फैसला राजनीति से प्रेरित है। लोगों को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने की ये तैयारी है। लेकिन सरकार ने इस आरोप का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है।
उद्धव ठाकरे ने तब्दील किए थे नाम, शिंदे ने फैसला पलटने के बाद फिर से लगाई मुहर
महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने अपने आखिरी दिनों में ओस्मानाबाद का नाम धाराशिव और औरंगाबाद का नाम छत्रपति शंभाजी नगर करने का फैसला किया था। सीएम के पद से इस्तीफा देने से पहले उद्धव ठाकरे में ये फैसला जून 2022 में किया था। लेकिन एकनाथ शिंदे ने सीएम बनते ही उद्धव के इस फैसले को पलट दिया। हालांकि बाद में जुलाई 2022 में शिंदे सरकार ने फिर ने नाम तब्दील करने की अधिसूचना जारी कर दी।
जनहित याचिका में कहा गया कि सरकार केवल अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह का कदम उठा रही है। कोर्ट फैसले पर रोक लगाए। हाईकोर्ट के एक्टिंग प्रिंसिपल जज एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस संदीप मारने की कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अप्रैल की तारीख तय की है।