आॅल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राजग सरकार पर योग व सूर्य नमस्कार जैसी चीजें शुरू कर संघ का एजंडा लागू करने का आरोप लगाया है। बोर्ड ने कहा कि ऐसा कर राजग सरकार धर्मनिरपेक्ष भारत के संविधान का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने कहा कि मुसलिम समुदाय को इससे चौकन्ना रहना चाहिए।
देश में मुसलिमों का प्रतिनिधित्व करने वाली इस शीर्ष संस्था ने मुसलिम संगठनों और इमामों से सीधे संपर्क साधते हुए कहा कि समुदाय को चौकन्ना रहना चाहिए, क्योंकि ऐसे संगठन हैं जो इस्लामी मान्यताओं पर हमले कर रहे हैं। बोर्ड ने सरकार की योग को बढ़ावा देने की योजना को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह धर्मनिरपेक्ष संविधान का उल्लंघन है, जो सरकार द्वारा धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की इजाजत नहीं देता।
बोर्ड ने एक पत्र में कहा कि मौजूदा हालात में सरकार और उसके मातहत काम करने वाले कई इदारे और लोग आज संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं। यह पत्र बोर्ड के कार्यकारी महासचिव मौलाना वली रहमानी ने लिखा है। विभिन्न मुसलिम संगठनों और व्यक्तियों को भेजे गए इस पत्र में रहमानी ने आरोप लगाया है कि योग दिवस समारोह और स्कूलों में सूर्य नमस्कार व बंदे मातरम की शुरुआत संघ के एजंडे को लागू करने के इरादे से की गई है। यह सिर्फ इत्तेफाक नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और संघ के विचारक केबी हेडगेवार की पुण्यतिथि एक ही दिन 21 जून को थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इन गतिविधियों के जरिए मूल्य वृद्धि जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाना चाहती है।
उन्होंने लोगों, संस्थानों और मस्जिदों के इमामों से इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने की अपील की। गीता के छठे अध्याय का संदर्भ देते हुए रहमानी ने कहा कि योग और सूर्य नमस्कार हिंदू धर्म की धार्मिक गतिविधियां हैं और यह मुसलमानों की विचारधारा के खिलाफ हैं। वयोवृद्ध मौलाना ने अपने दो पन्ने के पत्र में कहा कि मुसलमानों को चौकन्ना रहना चाहिए क्योंकि ऐसे संगठन हैं जो इस्लामी मान्यताओं पर हमला कर रहे हैं।
रहमानी ने मौलवियों से कहा कि वे शुक्रवार की नमाज के वक्त इन मुद्दों पर बात करें और मुसलिम समुदाय को आंदोलन के लिए तैयार करें। पत्र में कहा गया है कि लखनऊ में सात जून को हुई ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी समिति की बैठक में योग के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित कर इसे इस्लाम विरोधी बताया गया। रहमानी ने सरकार के नियंत्रण वाली पुरानी मस्जिदों को भी इबादत के लिए खोलने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर इबादत की इजाजत नहीं दी गई तो बोर्ड इस संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा।