Muslim Wedding In Hindu Temple: हिमाचल प्रदेश के शिमला में सोमवार को एक अचंभित करने वाला वाक्या सामने आया है। यहां एक मुस्लिम जोड़े ने विश्व हिंदू परिषद द्वारा संचालित मंदिर में निगाह किया। शिमला जिले के शहर में सत्यनारायण मंदिर में एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यालय भी है। बगल में एक मस्जिद है, लेकिन मुस्लिम परिवारों ने निकाह के लिए मंदिर को चुना।
मौलवी ने दो अधिवक्ताओं और दो गवाहों की मौजूदगी में निकाह पढ़ा, लेकिन मंदिर पहुंचने पर बारात का हिंदू पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। मंदिर ट्रस्ट ने कहा कि हिंदू संगठनों ने सिविल इंजीनियर दूल्हे और एमटेक दुल्हन की शादी को लेकर खुशी जाहिर की है।
‘शादी में सभी धर्मों के लोग हुए शामिल’
मंदिर ट्रस्ट के महासचिव विनय शर्मा ने कहा, ‘मंदिर का प्रबंधन वीएचपी द्वारा किया जाता है और आरएसएस का कार्यालय भी मंदिर परिसर में स्थित है। उन्होंने कहा, ‘शादी समारोह सांप्रदायिक सद्भाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, क्योंकि आरएसएस पर अक्सर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाया जाता है। यह सांप्रदायिक सद्भाव का एक दुर्लभ उदाहरण है, जिसका प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। दुल्हन के पिता ने कहा कि शादी में सभी धर्मों के लोग शामिल हुए थे।
ब्रिटिश शासन से पहले 70 फीसदी आबादी शिक्षित थी: RSS चीफ
वहीं RSS चीफ मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने रोजगार और शिक्षा को लेकर बड़ा बयान दिया है। भागवत ने कहा ब्रिटिश शासन (British Rule) से पहले भारत की 70 से 80 फीसदी आबादी शिक्षित थी और तब जातियों के बीच कोई भेदभाव नहीं था। उन्होंने ब्रिटिश शासन का जिक्र करते हुए कहा कि ब्रिटिश शासन से पहले भारत की 70 से 80% आबादी शिक्षित थी, और कोई बेरोजगारी नहीं थी। तब वहां कि केवल 17 फीसदी आबादी ही शिक्षित थी, लेकिन अंग्रेजों ने वहां की शिक्षा प्रणाली को यहां लागू किया और वो 70 फीसदी शिक्षित बन गए। जबकि भारत की केवल 17 फीसदी आबादी ही शिक्षित रह गई।
भागवत ने आगे कहा कि जाति और रंग के आधार पर ब्रिटिश शासन के पहले कोई भेदभाव नहीं था क्योंकि हमारी शिक्षा प्रणाली लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने यहां इंग्लैंड की शिक्षा प्रणाली लागू की थी और इसने देश की शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया।