मौलवी का कबूलनामा- हिंदू लड़कियों को मुसलमान बनाना और निकाह कराना मिशन था, है और रहेगा
मानवाधिकार आयोग की हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि साल 2018 में अकेले सिंध प्रांत में ही अल्पसंख्यकों के धर्मांतरण के एक हजार से ज्यादा मामले सामने आए।

पाकिस्तान में सिंध प्रांत के एक मौलवी ने सार्वजनिक रूप से इस बात को कबूल किया कि वह हिंदू लड़कियों को मुस्लिम बनाने के मिशन पर था, है और आगे भी रहेगा। हिंदी अखबार दैनिक भास्कर ने सिंध प्रांत में हिंदुओं के लिए खलनायक बने इसी मौलवी अब्दुल खालिक मीथा से बातचीत की। बातचीत में मीथा ने कहा कि ‘मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि मेरे 9 बच्चे भी भविष्य में यही काम करेंगे। मेरे पुरखों ने भी यहीं काम किया था।’
खास बात है कि मौलवी का यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने पहले अमेरिकी दौरे पहुंचे हैं। इस दौरान करीब दस अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप को पत्र को लिखकर कहा कि सिंध प्रांत में हिंदू लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर ट्रंप, पीएम इमरान से सीधे बात करें।
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की हालिया रिपोर्ट से भी मीथा के दावे में सच्चाई नजर आती है। रिपोर्ट कहती है कि साल 2018 में अकेले सिंध प्रांत में ही अल्पसंख्यकों के धर्मांतरण के एक हजार से ज्यादा मामले सामने आए। रिपोर्ट में दावा किया गया कि धर्मांतरण का सबसे बड़ा अड्डा भरचूंदी दरगाह भी सिंध प्रांत में है, जिसे इमरान खान का करीबी मीथा ही चलाता है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुताबिक एक साल के भीतर भरचूंदी दरगाह में रिकॉर्ड 450 हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण कराया गया।
अखबार ने जब मीथा से बात की तो उसने दावा किया, ‘हां में हिंदू लड़कियों के धर्मांतरण के लिए दरगाह में व्यवस्था की है। मगर मैं लड़कियों को दरगाह में लाने के लिए कोई टीम नहीं भेजता। वो खुद की मर्जी से यहां आती हैं। इसलिए मैं उनके निकाह का इंतजाम करता हूं। मेरे पूर्वजों ने हिंदुओं को धर्मांतरण कराकर इस्लाम (मुस्लिम धर्म) की सेवा की है। वर्तमान में मैं इस मिशन को आगे बढ़ा रहा हूं और मेरी मृत्यु के बाद मेरे बच्ची भी इसे बढ़ाएंगे।’
मौलवी अब्दुल खालिक मीथा ने भारत में कथित घर वापसी के कार्यक्रम पर कहा, ‘भारत में घर वापसी का कार्यक्रम इसलिए ठंडा पर गया क्योंकि हमारे यहां किसी हिंदू लड़की से जबरदस्ती नहीं की गई। भारत में घर वापसी कार्यक्रम पाकिस्तान और इस्लाम को नीचा दिखाने के लिए था। चूंकि पाकिस्तान में एक भी हिंदू लड़की का जबरन धर्म बदलवाया होता तो भारत सबसे पहले यूएन जाता। मगर उसने ऐसा नहीं किया।’
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