बिलकिस बानो से रेप और उसके परिजनों की हत्या के मामले में सजायाफ्ता 11 दोषियों की रिहाई पर देर से ही सही पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है। डबल बेंच ने पूछा कि बहुत से ऐसे मामले हैं जिनमें हत्या के दोषी जेल में ही पड़े रहते हैं। उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं देता। फिर बिलकिस मामले के दोषियों को माफी क्यों दे दी गई। क्या माफी देते वक्त हत्या के सारे दोषियों के मामलों पर गौर किया गया था।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने बिलकिस मामले को लीड केस मानते हुए सारे पक्षों को नोटिस जारी किया। बेंच का कहना था कि वो भावनात्मक आधार पर केस की सुनवाई करने नहीं जा रहे। बिलकिस बानो ने जो याचिका दायर की है वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ नहीं है। बल्कि वो गुजरात सरकार के फैसले पर सवाल उठा रही हैं। हम इस मामले की सुनवाई करने जा रहे हैं। हम सभी को एक सा मौका देंगे।
बिलकिस बानो से रेप और उसके परिवार के लोगों की हत्या के मामले में 11 को दोषी मानकर सजा सुनाई गई थी। दोषियों ने माफी के लिए लोअर कोर्ट में भी अर्जी लगाई थी लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। सीबीआई ने भी दोषियों को माफी देने का विरोध किया था। लेकिन गुजरात सरकार ने असेंबली चुनाव से ऐन पहले बिलकिस के दोषियों को माफी देने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपनी रजामंदी दी तो सारे 11 बाहर आ गए। बिलकिस ने अपने दोषियों को माफी देने के फैसले का तुरंत ही विरोध किया। अलबत्ता तब उसकी अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने गौर नहीं किया।
पांच मर्तबा बिलकिस की रिव्यू पटीशन सुप्रीम कोर्ट ने लौटाई
अपने मामले के 11 दोषियों को माफी देने के फैसले के खिलाफ बिलकिस ने पांच मर्तबा सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई। आखिरी बार उन्होंने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष अपनी एडवोकेट शोभा गुप्ता के जरिये अपील की। सीजेआई ने तत्काल फैसला लिया कि मामले की सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच का गठन किया जाएगा। उसके बाद जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच के सामने केस रखा गया।
15 अगस्त को रिहाई के बाद दोषियों का हुआ था स्वागत
बिलकिस मामले के सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को गुजरात सरकार की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद जेल से रिहा किया गया था। उसके बाद कई वीडियो सामने आए जिनमें साफ देखा जा रहा था कि दोषियों का स्वागत ऐसे किया गया जैसे वो कोई बड़ा काम करके जेल से बाहर निकल रहे हैं। गुजरात सरकार ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि बिलकिस के दोषियों को माफी देने की मंजूरी केंद्र ने भी दी है। हालांकि इसमें ये भी कहा गया था कि सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज (मुंबई) और सीबीआई इस माफी के खिलाफ हैं।
गुजरात सरकार ने दोषियों को माफी देने की अपील की थी
गुजरात सरकार ने ने अपने हलफनामे में दावा किया था कि जेल में रहने के दौरान सभी 11 दोषियों का चालचलन अच्छा रहा है। एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने आज की सुनवाई के दौरान कहा कि बिलकिस बानो मामले का एक दोषी जब पेरोल पर बाहर आया तो उसने एक महिला के साथ छेड़छाड़ की।
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में कहा कि बिलकिस केस गुजरात से बाहर महाराष्ट्र में इस वजह से ट्रांसफर किया गया था, क्योंकि पीड़ित पक्ष को गुजरात में केस की सुनवाई सही से न हो पाने का अंदेशा था। फिर भी माफी 1992 एक्ट के तहत गुजरात सरकार ने दे डाली।