एमपीः महिला जज को बर्थडे विश करने पर वकील पहुंचा जेल, ई-मेल के साथ ग्रीटिंग में भेजा था प्रोफाइल फोटो
विजय सिंह शादीशुदा है और उसके चार बच्चे भी हैं। पुलिस का कहना है कि ई-मेल पर संदेश भेजने के अगले दिन विजय ने स्पीड पोस्ट से महिला जज को ग्रीटिंग कार्ड भी भेजा था।

मध्य प्रदेश के रतलाम में रहने वाले वकील विजय सिंह यादव को सपने में भी अंदाजा नहीं होगा कि जज के साथ हिमाकत इतनी भारी पड़ सकती है। महिला जज को बर्थडे विश करने वाला विजय सिंह बीती 9 फरवरी से फिलहाल जेल में बंद है। वकील ने 28 जनवरी की रात 1.11 बजे जज को जन्मदिन का संदेश भेजा था। जज ने कोर्ट प्रशासन को दी शिकायत में कहा कि विजय सिंह का भेजा संदेश अभद्र था।
37 वर्षीय विजय सिंह के खिलाफ IT एक्ट के साथ IPC की अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक वकील ने 28 की रात में जज (जूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास) के जन्मदिन को लेकर एक शुभकामना संदेश भेजा और उसके बाद उसने जज को स्पीड पोस्ट के जरिए एक फोटो भी भेजी। पुलिस के अनुसार इसमें लिखा संदेश शालीन नहीं था। दरअसल, वकील ने यह फोटो जज के फेसबुक अकाउंट से चुराया था। जज ने इसे अपनी प्रोफाइल में डाला हुआ था। इसके लिए उसने अनुमति भी हासिल नहीं की।
पुलिस के मुताबिक विजय सिंह के खिलाफ 8 फरवरी को केस दर्ज किया गया था। उनके पास रतलाम जिला अदालत के सिस्टम ऑफिसर महेंद्र सिंह चौहान ने शिकायत दर्ज कराई थी। वकील के खिलाफ दर्ज एफआईआर में IT एक्ट के साथ धोखाधड़ी, जालसाजी, किसी की छवि खराब करने के लिए धोखाधड़ी करने के आरोप लगाए गए हैं। पुलिस का कहना है कि ई-मेल पर संदेश भेजने के अगले दिन विजय ने जज को ग्रीटिंग कार्ड भेजा था।
जय सिंह ने बताया कि उसके भाई विजय सिंह को पुलिस ने घर से ही गिरफ्तार किया। बकौल जय उसका भाई शादीशुदा है और उसके चार बच्चे भी हैं। वह अपना केस खुद ही लड़ रहा है। विजय ने अपनी जमानत के लिए याचिका लगाई थी, लेकिन लोअर कोर्ट ने इसे 13 फरवरी को खारिज कर दिया। अब एमपी हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के समक्ष बेल एप्लीकेशन दायर की गई है। इसकी सुनवाई 3 मार्च को होनी है।
अपनी जमानत याचिका में विजय सिंह ने एक शिकायत का भी हवाला दिया, जो उसने रतलाम के सीजेएम (चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट) के पास भेजी थी। इसमें उसने महिला जज की शिकायत की थी। उसका दावा है कि बर्थडे ग्रीटिंग सोशल वर्कर के तौर पर भेजा गया था। वकील का कहना है कि वह जय कुल देवी सेवा समिति नाम की संस्था का जिलाध्यक्ष है। उसने अपनी याचिका में यह भी कहा कि जज की जो तस्वीर उसने भेजी वह गूगल से डाउनलोड की गई। बकौल, विजय यह काम उसने क्रिएटिव डिजायनर के तौर पर किया था।