साल 1984 में सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही है। दरअसल दंगों के मामले में एक गवाह मुख्यतयार सिंह स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) के समक्ष अपना बयान दर्ज कराने पहुंचा है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक मुख्यतयार बयान दर्ज करवाने के लिए दक्षिणी दिल्ली के खान मार्केट में स्थित एसआईटी ऑफिस पहुंचे। यहां उन्होंने दंगों से जुड़ी जानकारी एसआईटी के अधिकारियों को दी। उल्लेखनीय है कि ऐसा पहली बार है जब मुख्तयार अपना बयान दर्ज कराने के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी टीम के समक्ष पहुंचे। दफ्तर से बाहर आने के बाद उन्होंने कहा कि वह सार्वजनिक रूप से नहीं बता सकते कि अपने बयान में जांच अधिकारियों को उन्होंने क्या बताया।
जानना चाहिए कि मामला एक नवंबर, 1984 को गुरुद्वारा रकाब गंज में भीड़ द्वारा सिखों की हत्या से जुड़ा है। 9 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सिख दंगों से मामले को फिर से खोलने की अनुमति दी है, जिसके चलते 31 अक्टूबर, 1984 को नई दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिखों के नरसंहार में कथित भूमिका के लिए कमलनाथ को एक नई पूछताछ का सामना करना पड़ेगा। शुरुआत में कमलनाथ इस मामले में आरोपी थे मगर जांच के दौरान कोर्ट को उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला।
72 वर्षीय वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और गांधी परिवार के वफादार रहे कमलनाथ को परेशानी का सामना इसलिए भी करना पड़ रहा है क्योंकि लंदन के एक पत्रकार संजय सूरी ने भी मामले में गवाही देने की बात कही है। उन्होंने एसआईटी को 15 सितंबर को से पूछा कि उन्हें गवाही के लिए उपयुक्त समय और तारीख दी जाए।
बता दें कि सूरी का पत्र शिरोमणि अकाली दल के नेता मंजिंदर सिंह सिरसा ने भी अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है। ऐसे में एसआईटी को अनुभवी कांग्रेस नेता के खिलाफ नए सबूतों पर विचार करने की संभावना है, जिसमें कथित तौर पर बताया गया है कि उन्होंने 1984 के दंगों के दौरान राजधानी के गुरुद्वारा रकाब गंज के पास भीड़ को उकसाया था।