Mission Shakti: मिशन शक्ति के साथ ही भारत चुनिंदा अंतरिक्ष महाशक्तियों की कतार में शुमार हो गया है। अमेरिका, रूस, चीन के बाद अब भारत के पास भी ऐसी क्षमता है जिसके जरिए अंतरिक्ष की परिधि में चक्कर काट रहे किसी उपग्रह को मार गिराया जा सकता है। पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को इस तकनीक के कामयाब परीक्षण का ऐलान किया। कामयाब परीक्षण की बात भले ही अब सामने आई हो, लेकिन भारत इस क्षमता को हासिल करने के लिए काफी वक्त से तैयारियां कर रहा था। चीन द्वारा इस क्षेत्र में कई परीक्षण किए जाने की खबरों के बीच डिफेंस रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन यानी डीआरडीओ के तत्कालीन चीफ विजय कुमार सारस्वत ने माना था कि भारत के पास यह क्षमता है, लेकिन इसके अलग नुकसान हैं। तत्कालीन डीआरडीओ चीफ ने 2012 में एक अंग्रेजी प्रकाशन को दिए इंटरव्यू में यह बात कबूली थी।
दरअसल, इंडिया टुडे के एक इंटरव्यू में सारस्वत से पूछा गया था कि क्या डीआरडीओ के पास अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स को तबाह करने की क्षमता है? सारस्वत ने इसका जवाब हां में देते हुए कहा था कि एंटी सैटेलाइट सिस्टम को लेकर जो तैयारियां होनी चाहिए, वे पूरी हैं। सारस्वत ने कहा था कि वे अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ के पक्षधर नहीं हैं, लेकिन इसकी तैयारी होनी चाहिए। ऐसा वक्त आ सकता है कि इसकी जरूरत पड़ जाए। तत्कालीन डीआरडीओ प्रमुख ने कहा था कि भारत के एंटी सैटेलाइट सिस्टम को थोड़ा ‘फाइन ट्यून’ किए जाने की जरूरत है, लेकिन इसे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा था कि वह इसके लिए परीक्षण का रास्ता नहीं चुनेंगे क्योंकि इससे तबाह हुए सैटेलाइट के टुकड़ों से दूसरे सैटेलाइटों को खतरा पैदा हो सकता है।
#WATCH PM Modi says, “India has entered its name as an elite space power. An anti-satellite weapon A-SAT, successfully targeted a live satellite on a low earth orbit.” pic.twitter.com/zEnlyjyBcA
— ANI (@ANI) March 27, 2019
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इंटरव्यू में सारस्वत से यह भी पूछा गया था कि भारत ने यह तकनीक कैसे हासिल की? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि सैटेलाइट को निशाना बनाए जाने के लिए कुछ चुनिंदा मापदंड होते हैं। इसके लिए स्पेस में चक्कर काट रहे एक सैटेलाइट को ट्रैक करने की क्षमता होनी चाहिए। इसकी तरफ मिसाइल छोड़ी जानी चाहिए और इस मिसाइल में एक ‘किल व्हीकल’ होना चाहिए जो सैटेलाइट को फिजिकली डैमेज कर सके। सारस्वत ने बताया था कि भारत के पास एक लॉन्ग रेंज ट्रैकिंग रेडार है, जिसका इस्तेमाल बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम में किया गया था। इस रेडार की क्षमता 600 किमी है। सारस्वत ने इसकी क्षमता बढ़ाकर 1400 किमी करने की बात कही ताकि अंतरिक्ष में चक्कर काट रहे उपग्रहों को ट्रैक किया जा सके।