देश में कोरोनावायरस के चलते लगे लॉकडाउन से प्रवासी मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट पैदा हो गया। ऐसे में लाखों लोग परिवहन सेवाओं की कमी के बावजूद पैदल ही अपने घरों की ओर निकल गए। हालांकि, उनका लंबा सफर बिल्कुल भी आसाना नहीं रहा है। जहां बड़ी संख्या में प्रवासी दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं, वहीं कुछ अपने पैरों के छाले और गर्मी की वजह से भी घर लौटने में अनगिनत समस्याओं का सामना कर रहे हैं। लोग तो रास्ते में ही रोते-बिलखते यहां तक कह रहे हैं कि उन्हें सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिली है। हम सब कोरोना से पहले ही भूखे मर जाएंगे। हम सरकार से विनती करते हैं कि हमें घर भेजने का इंतजाम कर दें।
इतना ही नहीं सड़कों पर पैदल चलते लोग तो यहां तक कहने के लिए मजबूर हैं कि वे पैदल ही घर तक जाएंगे और कोई चारा भी नहीं है। मरेंगे चाहे जिएंगे, अब तो दिमाग भी काम नहीं कर रहा है। हम दिनों-रात सिर्फ चल ही रहे हैं। मजदूरों का यहां तक कहना है कि उन्हें भूख ही शहर लाई थी और अब उसी के लिए वे वापस अपने घर जा रहे हैं। शहर में पता नहीं क्या होता, अपने गांव अपने देश पहुंचेंगे तो खाएंगे-पिएंगे। वहीं राह चलता एक और प्रवासी कहता है- हमारे बच्चे भूखे मर रहे हैं तो हम पैदल ही चल दिए।
कर्नाटक के बैंगलोर से बूढ़ी मां और बच्चों को साइकिल से बिठाकर कोटा ले जा रहे बेटे से लेकर थककर सड़कों पर ही सो रहे युवकों तक देश में कोरोना के बीच घर लौट रहे प्रवासियों की यह तस्वीरें पिछले डेढ़ महीने में काफी आम हो गई हैं।
COVID-19 in Rajasthan LIVE Updates
गौरतलब है कि देश की करीब 69 फीसदी आबादी गांव के ही रहने वाले हैं। इनमें 58 फीसदी लोग खेती-बाड़ी करते हैं। इनमें से भी 55 फीसदी खेतिहर मजदूर हैं, जो दूसरे राज्यों में जाकर काम करते हैं। देश की आबादी के कुल 37 फीसदी लोग मजदूरी के लिए पलायन करने के लिए मजबूर हैं। दूसरे राज्यों में जाने वाले मजदूरों की तादाद 6.5 करोड़ से ज्यादा है। इसमें सबसे ज्यादा 25 फीसदी यूपी से 14% बिहार से, 6% राजस्थान से और मध्य प्रदेश से भी 5% मजदूर हैं।
देश में 60 लाख मजदूर सिर्फ यूपी से हैं, जो लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में फंसे हैं। वहीं, बिहार के 30 लाख, राजस्थान के 10 लाख और एमपी के 9 लाख मजदूर भी फंस गए। पलायन करने वाले यह मजदूर 10 हजार रुपए से भी कम कमाते हैं। बड़े शहरों में सबसे ज्यादा 70 लाख लोग अकेले बेंगलुरु में काम करते हैं। इनमें ड्राइवर, सिक्योरिटी गार्ड, डिलीवरी बॉय और दूसरे मजदूरों का काम करने वाले शामिल हैं। बेंगलुरू के बाद सबसे ज्यादा पलायन करने वाले मजदूर गुड़गांव, हैदराबाद और दिल्ली में फंसे हैं। लॉकडाउन के बाद खराब हुई स्थिति के बीच यह प्रवासी अपने घरों को ही जाना चाहते हैं।