MGNREGA Workers Protest: दिल्ली के जंतर-मंतर पर मनरेगा मजदूर अपनी मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया है। शनिवार को मनरेगा श्रमिकों के धरना-प्रदर्शन के 30 दिन पूरे हो गए। मनरेगा श्रमिकों का कहना है कि केंद्र ने अभी तक उनके द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब नहीं दिया है। जिसमें ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और अन्य नीतियों के बजट में 33% कटौती सहित द्वारा उठाए गए मुद्दे शामिल हैं। श्रमिकों का कहना है कि इसकी वजह से उन लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। हालांकि मंत्रालय के अधिकारियों ने श्रमिकों के साथ मुलाकात की है, लेकिन मनरेगा संघर्ष मोर्चा के एक समूह ने बताया कि अभी तक उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकला है।
नरेगा संघर्ष मोर्चा के नेता राज शेखर ने आंदोलन के 30वें दिन एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह विरोध सरकार के तीन तरफा हमले के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हाल ही में तीन फैसले लिए गए, जिसने मनरेगा मजदूरों को संकट में डाल दिया। सरकार के तीन फैसलों में- केंद्र के मनरेगा बजट में कटौती, उपस्थिति दर्ज करने के लिए एक मोबाइल ऐप (नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) शुरू करना और आधार-आधारित भुगतान को अनिवार्य बनाना। इसने श्रमिकों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। जिससे उनके लिए काम ढूंढना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर श्रमिक काम पाने में कामयाब हो जाते हैं, तो अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए और आधार होने की आवश्यकता के कारण यदि पहले दो काम करते हैं तो उनको मजदूरी प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।
100 दिन तक चलेगा मनरेगा मजदूरों का धरना-प्रदर्शन
किसान मजदूर संगठन की ऋचा सिंह ने कहा, ‘देश भर से मनरेगा मजदूरों के जत्थे बारी-बारी से जंतर-मंतर पर आएंगे। यह धरना-प्रदर्शन 100 दिन तक चलेगा। उन्होंने कहा कि इन 30 दिनों में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारी हमसे केवल एक बार मिले हैं। हमसे मिलने वाले अधिकारी ने धैर्यपूर्वक हमारा पक्ष सुना, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। पीएम मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी के श्रमिक में धरना-प्रदर्शन में शामिल हैं। ऋचा सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मनरेगा मजदूरी बिल बड़ी संख्या में लंबित हैं। सिंह ने कहा कि क्या कभी उन्होंने (पीएम मोदी) यह नहीं कहा कि यूपी में डबल इंजन की सरकार है? यहां भी वेतन कैसे लंबित है?
2006-07 में हुई योजना की शुरुआत
साल 2006-07 में इस योजना के शुरू होने के बाद साल 2020 -21 में मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों का आंकड़ा 11 करोड़ पार कर गया था। यानी 202 -21 में ऐसा पहला मौका आया जब मनरेगा मजदूरों की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ी। वहीं साल 2019-20 में लगभग 7.88 करोड़ मजदूरों ने मनरेगा के तहत काम किया। मतलब साल 2020-21 में साल 2019-20 के मुकाबले लगभग 41.75 फीसदी ज्यादा मजदूरों ने काम किया।