पिछले दिनों हुए केरल विधानसभा का चुनाव हारने के बाद मेट्रो मैन कहे जाने वाले ई श्रीधरन का राजनीति से मोहभंग हो गया है। ई श्रीधरन ने गुरुवार को भाजपा छोड़ने का ऐलान किया।
गुरुवार को मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने कहा कि बहुत से लोग नहीं जानते होंगे कि मैं अब 90 साल का हो गया हूँ। उम्र के लिहाज से मैं जीवन के सबसे ऊपरी पड़ाव पर हूं। उन्होंने यह भी कहा कि मैं सक्रिय राजनीति छोड़ रहा हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं राजनीति छोड़ रहा हूं। मुझे चुनाव हारने का भी दुख है। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं कभी राजनेता नहीं रहा, मैं तो एक नौकरशाह था। भले ही मैं सक्रिय राजनीति में नहीं रहूंगा लेकिन अन्य तरीकों से हमेशा लोगों की सेवा करता रहूंगा। मेरे पास तीन ट्रस्ट हैं, उन्हीं में मुझे काम करना है।
दिल्ली मेट्रो सहित राज्य के कई शहरों के मेट्रो नेटवर्क का खाका तैयार करने ई श्रीधरन को मेट्रो मैन का नाम दिया गया। केरल विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्य ली थी। उन्हें केरल में भाजपा के सीएम उम्मीदवार के तौर पर देखा गया। श्रीधरन ने बीते दिनों हुए केरल विधानसभा का चुनाव पलक्कड़ से लड़ा। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पलक्कड़ सीट से कांग्रेस के शफी परम्बिल ने बीजेपी के ई श्रीधरन को 3,859 वोटों से हरा दिया। शफी परम्बिल को 54079 वोट मिले। जबकि भाजपा उम्मीदवार ई श्रीधरन को 50220 वोट मिले थे।
मेट्रो मैन ई श्रीधरन का जन्म केरल के पलक्कड़ में साल 1932 में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई पलक्कड़ से ही की। इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। साल 1953 में उन्होंने इंडियन इंजिनियरिंग सर्विस (आईईएस) की परीक्षा पास की। इसके बाद वे साल 1970 में शुरू हुई कोलकाता मेट्रो परियोजना के भी हिस्सा रहे। बाद में वे रेलवे बोर्ड के सदस्य भी बनाए गए।
साल 1990 में रिटायरमेंट से पहले उन्हें कोंकण रेलवे के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर का पद दिया गया। श्रीधरन के नेतृत्व में ही कोंकण रेलवे का कार्य पूरा हुआ और इसके बाद उन्हें दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी गई। दिल्ली मेट्रो का काम सफलतापूर्वक संपन्न होने पर उन्हें मेट्रो मैन की उपाधि दी गई।