महबूबा मुफ्ती ने अलगाववादी यासीन मलिक से की साध्वी प्रज्ञा की तुलना, बीजेपी पर किया हमला
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भाजपा की भोपाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा से यासीन की तुलना करते हुए रिहाई की मांग की है।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार (22 अप्रैल 2019) को जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के मुखिया यासिन मलिक की रिहाई की मांग की है। यासीन मलिक को आतंकवादियों और अलगाववादियों को धन मुहैया करवाए जाने के संबंध में गिरफ्तार किया गया है। महबूबा ने भाजपा की भोपाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा से यासीन की तुलना करते हुए रिहाई की मांग की है।
उन्होंने अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट किया ‘दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद यासीन मलिक का परिवार उनकी गिरती हुई सेहत को लेकर बेहद चिंतित है। अफसोस की बात है कि भारत सरकार उनकी गिरती सेहत के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाए हुए है। लेकिन उन्होंने साध्वी प्रज्ञा को जमानत की सुविधा दी हुई है जो कि सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काकर अपना राजनीतिक एजेंडा पेश कर रही हैं।’
उन्होंने अपने इस ट्वीट में भाजपा को ‘Bigot Janata party’ करार दिया। मालूम हो कि साध्वी प्रज्ञा 2008 मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी हैं और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। भाजपा ने उन्हें कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है।
Yasin Malik’s family concerns about his declining health in Tihar jail are genuine.Sadly GoI has been insensitive to their plight. They’d much rather facilitate bail for a bigot queen like Sadhvi who serves their political agenda by inflaming communal passions. Bigot Janata party
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) April 22, 2019
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेताओं और उनके संगठनों पर केंद्र सरकार ने बीते दिनो ताबड़तोड़ कार्रवाई की थी। इसी कड़ी में सरकार ने जेकेएलएफ को बैन कर दिया था। UAPA के सेक्शन तीन के तहत ये बड़ी कार्रवाई की गई थी। यह कार्रवाई आतंकी संगठनों के साथ संबंधों के आरोप के बाद की गई।
ऐसा पहली बार नहीं है कि महबूबा यासीन के समर्थन में नजर आईं हों। मुफ्ती ने इस बैन पर केंद्र को आड़े हाथों लिया था। उन्होंने कहा था कि यासीन मलिक ने लंबे समय से राज्य के मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की है। उन्हें प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने भी बातचीत में शामिल किया था। अब उनके संगठन पर प्रतिबंध से क्या हासिल होगा? इससे सिर्फ कश्मीर की फिजाओं में तनाव बढ़ेगा।’
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