तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ’ ब्रायन ने सदन में एक ऐसा मुद्दा उठाया, जिसका समाना कई सांसदों के द्वारा लंबे समय से किया रहा है। बीते बुधवार को सदन के आखिरी दिन ओ’ ब्रायन ने कहा कि गोवा के निवासी जिनके डी’ रोसारियो और डी ‘ क्रूज जैसे पुर्तगाली नाम है उन्हें अपने नाम की वजह से प्रोविडेंट फंड नहीं मिल पा रहा है। आगे उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा कि ईपीएफओ में जो कंप्यूटर प्रोग्राम इंस्टॉल किया गया है वह अंग्रेजी नामों के साथ एपोस्ट्रोफे (Apostrophe) नहीं लेता है।
आगे सांसद ने कहा कि उनके अपना एंग्लो इंडियन समाज जो कि यूरोपीयन डिसेंट का प्रयोग करता है उसे भी इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। अंत में ओ’ ब्रायन ने कहा कि केवल कंप्यूटर की सुविधा के लिए लोगों को नाम बदलने के लिए बोलना बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।
इससे पहले ओ’ ब्रायन महंगाई के मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की निशाना बना चुके हैं। उनकी ओर से बढ़ते पेट्रोल और डीजल के दामों को लेकर सोशल मीडिया पर ट्वीट किया गया था, जिसमें उन्होंने इस मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा करने की मांग के साथ चुनाव के ठीक बाद कीमत बढ़ाने को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाया था।
महिला आरक्षण विधेयक का उठाया मुद्दा: राज्यसभा के इस सत्र में सांसद डेरेक ओ’ ब्रायन महिला आरक्षण विधेयक की भी मांग कर चुके हैं। इस पूरे मामले पर उन्होंने कहा कि देश में सबसे ज्यादा महिला सांसद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में है और इस विधेयक को पेश करने के लिए नियम 168 के तहत नोटिस भी दे चुके हैं। वहीं, ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया 56 इंच वाले प्रधानमंत्री को खुली चुनौती। लंबे समय से अटका महिला आरक्षण विधेयक को राज्यसभा में 8 अप्रैल से पहले पेश करें। तृणमूल कांग्रेस की ओर से लाया जाने वाला प्रस्ताव स्वीकार करें और मतदान के लिए सदन में रखें।
बता दें, महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव है। ओ’ ब्रायन की तरफ से साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार देश में टीएमसी के पास सबसे अधिक 37 फीसदी सांसद है जबकि कांग्रेस के पास 15 और भाजपा के पास 13 फीसदी महिला सांसद है।