मनोहर पर्रिकर: IIT से निकल कर बोरियां बनाने लगे थे, फिर मुस्लिम पार्टनर के साथ खोली कंपनी, राजनीति में नहीं थी दिलचस्पी
Manohar Parrikar Death News: उनके तेज निर्णय लेने का तरीका और स्वतंत्र शैली को देखते हुए उनके मेंटर और आरएसएस गुरु सुभाष वेलिंगकर ने उन्हें गोवा में भाजपा के भविष्य के चेहरे के रूप में चुना।

Manohar Parrikar Death News: गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार शाम उनके निजी निवास पर निधन हो गया। वह पिछले एक साल से अधिक समय से कैंसर से जूझ रहे थे। वह 63 साल के थे। लेकिन क्या आप जानते हैं पर्रिकर की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी। IIT से निकलने के बाद मनोहर ने जूट के बोरों का निर्माण करने का निर्णय लिया। वह एक प्रशिक्षित मेटलर्जिस्ट थे। उनके तेज निर्णय लेने का तरीका और स्वतंत्र शैली को देखते हुए उनके मेंटर और आरएसएस गुरु सुभाष वेलिंगकर ने उन्हें गोवा में भाजपा के भविष्य के चेहरे के रूप में चुना।
हालांकि, उन दिनों पर्रिकर ने अपना व्यवसाय स्थापित करने का मन बना लिया था – उन्होंने अपने एक मुस्लिम साथी के साथ एक जलगति विज्ञान कारखाना स्थापित किया। उन दिनों पर्रिकर की राजनीति से जुड़ने में दिलचस्पी नहीं थी। आज तीन दशक बाद उनकी राजनीतिक विरासत खुद उनके बारे में बहुत कुछ दर्शाती है। पर्रिकर चार बार गोवा के मुख्यमंत्री बने और भारत के रक्षा मंत्री के रूप में सेवा करने वाले गोवा के पहले राजनेता भी हैं। गोवा का मुख्यमंत्री बनने वाले भाजपा के पहले नेता पर्रिकर ने 2000-05 तक और फिर 2012-14 तक राज्य का नेतृत्व किया। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में 2014 में रक्षामंत्री का पद संभाला। पर्रिकर देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से पढ़ाई की थी। उन्हें 2000 से चार बार मौका मिला, लेकिन वह एक बार भी पूरे कार्यकाल तक पद पर नहीं रह पाए।
2012 से पहले के पर्रिकर पूरी तरह से राज्य की दैनिक चिंताओं से जुड़े थे, लेकिन बाद में उन पर दबाव बनाया गया। मुख्य रूप से खनन प्रतिबंध द्वारा, एक मजबूत प्रवासी लॉबी द्वारा जो जंगल और कृषि भूमि में कैसीनो और प्रोजेक्ट्स में निवेश करना चाहते थे। पिछले डेढ़ साल से वह प्रशासनिक मामलों को सहयोगी मंत्रियों को सौंपने के लिए राजी नहीं थे। उन्होंने चुनिंदा प्रशासकों के एक समूह के साथ राज्य को चलाया। दिल्ली में जहां वह 2014 से 2017 तक रक्षा मंत्री थे, उन्होंने प्रसिद्ध रूप से घोषणा की कि वे बिचौलियों और हथियार एजेंटों के बीच सांठगांठ को तोड़ देंगे। उनके कार्यकाल के दौरान सेना ने 2016 के क्रॉस-बॉर्डर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। वह 2017 में वापस राज्य की राजनीति में लौट आए और उन्होंने गठबंधन सरकार का नेतृत्व संभाला और लंबी बीमारी के बावजूद वह पद पर बने रहे। इस बीच विपक्ष और नागरिक समाज ने उनकी आलोचना भी की और खराब स्वास्थ्य के आधार पर बार-बार उनके इस्तीफे की मांग भी की।