नरेंद्र मोदी सरकार पर पूर्व PM का लेख से प्रहार, बोले- रंगीले शीर्षकों या PR से नहीं चलती है इकनॉमी
मनमोहन सिंह ने लिखा कि भारतीय अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है। देश की जीडीपी 15 साल में सबसे निचले स्तर पर है। बेरोजगारी 45 सालों में सबसे ज्यादा है। घरेलू उपभोग भी 4 दशकों में पहली बार अपने सबसे निचले स्तर पर है।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने एक लेख में केन्द्र की मोदी सरकार और उसकी आर्थिक नीतियों की कड़ी आलोचना की है। मनमोहन सिंह ने लिखा है कि देश में अविश्वास का माहौल है और इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। मनमोहन सिंह ने आरोप लगाया कि अर्थव्यवस्था के मौजूदा खराब हालात के पीछे हमारे विश्वास के सामाजिक ताने-बाने का टूटना प्रमुख कारण है। यह काफी महत्वपूर्ण है कि बिजनेसमैन, कर्जदाता संस्थाएं और वर्कर्स कॉन्फिडेंट महसूस करें और यह तभी संभव हो सकता है जब भारत सरकार देश के उद्यमियों में विश्वास जताए। बता दें कि द हिंदू के लिए लिखे एक लेख में मनमोहन सिंह ने उक्त बातें लिखी हैं।
बेरोजगारी बढ़ी और घरेलू उपभोग में आयी भारी गिरावटः मनमोहन सिंह ने लिखा कि भारतीय अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है। देश की जीडीपी 15 साल में सबसे निचले स्तर पर है। बेरोजगारी 45 सालों में सबसे ज्यादा है। घरेलू उपभोग भी 4 दशकों में पहली बार अपने सबसे निचले स्तर पर है। बैंकों के कर्ज फंसने का प्रतिशत काफी ज्यादा है, बिजली उत्पादन भी 15 सालों में सबसे कम है। पूर्व प्रधानमंत्री ने बताया कि देश की अर्थव्यवस्था इसके लोगों और इसकी संस्थाओं के बीच के संबंधों पर निर्भर करती है। हमारा भरोसे वाला सामाजिक ताना-बाना और विश्वास इन दिनों पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है।
रंग-बिरंगे शीर्षकों और पीआर से नहीं चलती अर्थव्यवस्थाः मनमोहन सिंह ने लिखा कि हमारी अर्थव्यवस्था 3 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक ताकत है, जो कि मुख्यतः निजी क्षेत्र द्वारा संचालित होती है। यह कोई छोटी इकॉनोमी नहीं है, जिसे अपनी मर्जी से चलाया जा सकता है। यह रंग-बिरंगे शीर्षकों और शोर भरी मीडिया कमेंट्री से नहीं चलती है। दुख की बात ये है कि खुद बुलायी गई आर्थिक मंदी ऐसे वक्त आयी है, जब भारत के पास वैश्विक अर्थव्यवस्था में फायदा उठाने के कई मौके हैं। चीन की आर्थिक मंदी से भारत के पास अपने निर्यात को बढ़ाने का मौका है।
पॉलिसीमेकर सच बोलने से डर रहे हैं: मनमोहन सिंह के अनुसार, समाज में डर का माहौल है। कई बिजनेसमैन, उद्योगपति सरकारी अथॉरिटी द्वारा प्रताड़ित किए जा रहे हैं। बैंकर नए लोन देने से डर रहे हैं। नए प्रोजेक्ट नहीं शुरु हो रहे हैं। टेक्नॉलोजी स्टार्टअप और नौकरियां लगातार कम हो रही हैं। सरकार में मौजूद पॉलिसीमेकर और अन्य संस्थान सच बोलने से डर रहे हैं। इन सभी कारणों के चलते ही देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से गिरावट आ रही है।