हिंदू मैरिज एक्ट के तहत दो शादियां करना कानून जुर्म है। लेकिन एक शख्स ने ऐसा कर दिया। फिलहाल फैमिली कोर्ट ने दखल देकर तीनों के बीच शांति स्थापित करने का फार्मूला सुझाया। इसमें शख्स को दोनों पत्नियों के साथ तीन-तीन दिन बिताने पड़ेंगे। संडे के दिन वो मनमाफिक समय बिता सकेगा। हालांकि, ये एक अनौपचारिक समझौता है लेकिन अगर शख्स इस समझौते को तोड़ता है तो पहली पत्नी को अधिकार होगा कि वो कोर्ट का रुख कर सके। इस मामले में शख्स को अपनी कुल जमा संपत्ति भी दोनों पत्नियों के बीच में बांटनी पड़ी है।
समय और संपत्ति पत्नियों के बीच बांटनी होगी
एग्रीमेंट के मुताबिक, नोएडा के सॉफ्टवेयर इंजीनियर को अपनी दोनों पत्नियों के बीच अपने 1.5 लाख महीने के वेतन का बंटवारा करना होगा और हफ्ते के तीन दिन पहली और तीन दिन दूसरी पत्नी के साथ रहना होगा। रविवार का दिन वह अपने लिए रखेगा। उसके पास दो फ्लैट हैं, जो वह दोनों पत्नियों को देगा। वह सोमवार से बुधवार तक एक पत्नी के साथ और गुरुवार से शनिवार दूसरी पत्नी के साथ बिताएगा। समझौते में कहा गया कि रविवार को वह किसी के साथ रहने के लिए बाध्य नहीं है और कहीं भी रहने की स्वतंत्रता है। अगर वह इस समझौते का उल्लंघन करता है, तो पहली पत्नी उसके खिलाफ अदालत जा सकती है।
पत्नी को ग्वालियर छोड़ा और फिर वापस ही नहीं लाया
जनवरी 2023 में ग्वालियर फैमिली कोर्ट ने विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए एक काउंसलर एडवोकेट हरीश देवान को नियुक्त किया था। उन्होंने बताया कि इस व्यक्ति ने मई 2018 में 26 वर्षीय महिला से शादी की थी। वे दोनों सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और गुड़गांव की एक कंपनी में साथ काम करते थे। साल 2020 में, जबकि उसकी पत्नी गर्भवती हुई, तो महामारी के कारण वह पत्नी को ग्वालियर अपने माता-पित के पास छोड़ आया। देवान ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान यात्रा पर प्रतिबंध था इसलिए उसने महिला को ससुराल में ही रहने के लिए कहा और खुद गुरुग्राम लौट आया। इसके बाद वह पत्नी के पास वापस ही नहीं गया। 2021 में उसी कंपनी में काम करने वाली दूसरी महिला से उसने शादी कर ली और वह भी गर्भवती हो गई। देवान ने कहा, “दूसरी पत्नी ने जुलाई 2021 में एक बच्ची को जन्म दिया। वहीं, पहली पत्नी चाहती थी कि वह वापस आ जाए, लेकिन वह उससे बचने लगा।”
परिवार के साथ नोएडा पहुंची पहली पत्नी
जनवरी 2023 में पहली पत्नी अपने परिवार के साथ नोएडा गई और देखा कि वह दूसरी पत्नी के साथ रह रहा है और उनका एक बच्चा भी है। कहासुनी के बाद उन्होंने नोएडा के स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई लेकिन कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। उसी महीने, पहली पत्नी ने गुजारा भत्ता के लिए ग्वालियर की फैमिली कोर्ट में मामला दर्ज किा। अदालत ने वकील हरीश देवान से कहा कि वह मंगलवार को मामले की सुनवाई से पहले तीनों के बीच समझौता कराने की कोशिश करें।
पहली पत्नी के साथ रहने को तैयार नहीं था
देवान ने कहा, “एक काउंसलर होने के नाते, पहला प्रयास इस मुद्दे को हल करने का होता है। पहली पत्नी अपने बच्चे के लिए सुरक्षा चाहती थी और अपने पति को जेल नहीं भेजना चाहती थी। दूसरी बीवी पहली पत्नी के साथ रहने को तैयार थी, लेकिन वह आदमी खुद पहली पत्नी के साथ नहीं रहना चाहता था।” इसके बाद, वकील ने शख्स को समझाया कि भारतीय दंड संहिता 494 के तहत दो शादियां करना गैरकानूनी है। तब वह दोनों बीवियों के बीच संपत्ति और समय का बंटवारा करने के लिए मान गया।
देवान ने कहा, “हालांकि यह हिंदू विवाह अधिनियम और आईपीसी के अनुसार गैरकानूनी है लेकिन तीनों आपसी समझ के साथ अनुबंध की शर्तों के अनुसार रह सकते हैं। यदि अनुबंध का उल्लंघन होता है, तो पहली पत्नी अदालत जा सकती है।”