फड़णवीस के शपथ के लिए कैबिनेट की मंजूरी बिना ही हटाया महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन
माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने का निर्णय प्रधानमंत्री के स्तर पर हुआ है। THE GOVERNMENT OF INDIA TRANSACTION OF BUSINESS RULES 1961 के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 77 की तीसरी उपधारा पीएम को यह शक्ति देती है।

बीजेपी ने आनन-फानन में महाराष्ट्र में नई सियासी खिचड़ी पकाते हुए भले ही अजित पवार के सहयोग से सरकार बना ली हो लेकिन इस जल्दबाजी में एक गड़बड़ी हो गई। केंद्र की बीजेपी सरकार ने बिना कैबिनेट मीटिंग किए ही राज्य से राष्ट्रपति शासन हटा दिया। महाराष्ट्र में 23 नवंबर (शनिवार) की सुबह 5.47 बजे राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया। इससे राष्ट्रपति शासन हटाए जाने की संवैधानिकता और कानूनी प्रावधान पर सवाल खड़े हो गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाए जाने की अधिसूचना 23 नवंबर को प्रकाशित की है। इस पर गृह सचिव के डिजिटल हस्ताक्षर हैं।
माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने का निर्णय प्रधानमंत्री के स्तर पर हुआ है। THE GOVERNMENT OF INDIA TRANSACTION OF BUSINESS RULES 1961 के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 77 की तीसरी उपधारा के मुताबिक सरकार के कामकाज को बिना बाधा के चलाने के लिए प्रधानमंत्री किसी भी मामले या किसी भी वर्ग के मामले में अनुमति दे सकता है। इसी का प्रयोग करते हुए पीएम ने महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा की। 4 जनवरी, 1961 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा ये नियम लागू किए गए थे। इन्हीं नियमों में 12वें नियम के मुताबिक पीएम ने ऐसा किया है।
जारी अधिसूचना में कहा गया है, “संविधान के अनुच्छेद 356 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मैं, रामनाथ कोविंद, भारत का राष्ट्रपति, मेरे द्वारा जारी किए गए पिछले आदेश को रद्द करता हूं, जो 12 नवंबर, 2019 को महाराष्ट्र राज्य में लागू किए गए थे, यह अधिसूचना 23 नवंबर, 2019 से महाराष्ट्र राज्य में प्रभावी होगा।”
12 नवंबर को जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई थी जिसमें राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का फैसला हुआ था और उसे राष्ट्रपति के पास तत्काल आधार पर भेजा गया था। इस बैठक के बाद पीएम ब्राजील के लिए रवाना हो गए थे जहां BRICS देशों के सम्मेलन में उन्हें भाग लेना था।
इससे पहले शुक्रवार को शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी नेताओं के बीच संयुक्त बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को सीएम बनाने पर सहमति बनने की जानकारी दी थी। हालांकि कांग्रेस ने शनिवार को और चर्चा की बात कही थी। माना जा रहा था कि शनिवार को तीनों पार्टियों में सरकार गठन को लेकर अंतिम सहमति बन सकती है, लेकिन इससे पहले ही शनिवार की सुबह देवेंद्र फडणवीस, एनसीपी नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार के साथ राजभवन पहुंच गए और सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। इसके बाद राष्ट्रपति के आदेश पर राज्य से राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया और राज्यपाल ने देवेंद्र फडणवीस को सीएम और अजित पवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिला दी।