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‘ना हम प्यार में पड़ेंगी और ना ही लव मैरिज करेंगी’, महाराष्ट्र के कॉलेज में वेलेंटाइन डे से पहले 40 लड़कियों को दिलाई गई शपथ

कॉलेज का संचालन एक शैक्षिक संस्था विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी द्वारा किया जाता है। जिसके संस्थापक स्वर्गीय राम मेघे हैं। राम मेघे एक कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व शिक्षा मंत्री भी रहे हैं।

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महाराष्ट्र के कॉलेज की घटना। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

महाराष्ट्र के अमरावती जिले के एक कॉलेज में वैलेंटाइन डे से एक दिन पहले करीब 40 छात्राओं को ‘लव मैरिज’ से दूर रहने की शपथ दिलाई गई। इसके साथ ही छात्राओं को शादी के दौरान दहेज ना देने और ना लेने की भी शपथ दिलायी गई।

बता दें कि यह घटना चंदूर इलाके के महिला कला वाणिज्य महाविद्यालय की है। कॉलेज में नेशनल सर्विस स्कीम (NSS) का कैंप चल रहा था, जिसमें 100 छात्राएं शामिल थीं।

छात्राओं को यह शपथ, कॉलेज के अध्यापकों द्वारा दिलायी गई। शपथ में कहा गया कि “मैं शपथ लेती हूं कि मैं अपने माता-पिता में पूरा विश्वास रखूंगी। मैं प्रेम में नहीं पड़ूंगी और ना ही प्रेम विवाह करूंगी। इसके साथ ही मैं दहेज के लिए भी शादी नहीं करूंगी, यदि मेरे माता-पिता सामाजिक बंधनों के चलते मेरी शादी में दहेज देते हैं तो भविष्य में मैं जब मां बनूंगी तो ना तो मैं अपने बेटे या बेटी की शादी में दहेज दूंगी और ना ही लूंगी। मैं यह शपथ एक मजबूत और स्वस्थ भारत के लिए ले रही हूं। ”

बता दें कि कॉलेज का संचालन एक शैक्षिक संस्था विदर्भ यूथ वेलफेयर सोसायटी द्वारा किया जाता है। जिसके संस्थापक स्वर्गीय राम मेघे हैं। राम मेघे एक कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व शिक्षा मंत्री भी रहे हैं। इस कॉलेज में कला और वाणिज्य विषय में स्नातक और परास्नातक कोर्स कराए जाते हैं।

कॉलेज में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर प्रदीप डांडे ने बताया कि ‘कैंप के दौरान छात्राओं से ‘चैलेंज बिफोर यूथ’ विषय पर चर्चा करते हुए इस शपथ का ख्याल आया। चर्चा के दौरान समाज में महिलाओं के खिलाफ बढ़ने वाले अपराध, लव मैरिज आदि विषयों पर भी बात हुई। सवाल उठा कि ऐसा क्यों हो रहा है? युवाओं का अपने मां-बाप में विश्वास कम क्यों हो रहा है।’

इसके बाद इस शपथ का विचार आया। डांडे ने बताया कि यह वैकल्पिक रखा गया। हमारा मकसद इसे किसी पर थोपना नहीं था। इसलिए जो लड़कियां इस बात से सहमत थीं, उन्होंने ही शपथ ली और बाकी इससे दूर रहीं।

कॉलेज के प्रिंसीपल राजेंद्र हावड़े से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कैंप की 100 लड़कियों में से 40 ने यह शपथ ली। जब उनसे सवाल किया गया कि क्या वह इस शपथ से सहमत हैं? तो उन्होंने कहा कि “इसके समर्थन करने या नहीं करने का सवाल नहीं है। लड़कियां ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स और पान-ठेले वालों के साथ भाग जाती हैं। क्या माता-पिता अपनी बेटियों को इसी लिए कॉलेज भेजते हैं? इसलिए यह विचार आया कि वह पहले पढ़ाई पर फोकस करेंगी और उसके बाद शादी के बारे में सोचेंगी।”

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First published on: 15-02-2020 at 08:28 IST
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