महाराष्ट्र में आगामी 26 फरवरी को पुणे जिले में आने वाली दो सीटों कस्बा पेठ (Kasba Peth) और पिंपरी-चिंचवाड़ (Pimpri Chinchwad) विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव (Maharashtra Bypoll) होने वाले हैं। ऐसे में इस उपचुनाव ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के भीतर टकराव की स्थिति उजागर हो कर दिया है। दरअसल इन सीटों पर MVA में शामिल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और शिवसेना (उद्धव गुट) के बीच उपचुनाव लड़ने के लिए होड़ देखने को मिल रही है।
तीनों दलों के बीच दो सीटों को लेकर रार बढ़ सकती है:
बता दें कि शिवसेना (UBT) चाहती है कि पिंपरी-चिंचवाड़ में उसकी पार्टी का उम्मीदवार हो, जबकि इस सीट से एनसीपी (NCP) 2009 से चुनाव लड़ रही है। वहीं कांग्रेस अपने लिए कस्बा पेठ विधानसभा सीट चाहती है। द इंडियन एक्स्प्रेस ने एनसीपी के एक अंदरूनी सूत्रों के हवाले से बताया कि एनसीपी पिंपरी-चिंचवाड़ को किसी भी कीमत पर शिवसेना को नहीं देगी। लेकिन, कस्बा पेठ सीट के लिए कांग्रेस का दावा स्वीकार्य कर सकती है। ऐसी स्थिति में शिवसेना (Shivsena), कांग्रेस (Congress) और शिवसेना के बीच रार की स्थिति बढ़ने की उम्मीद है।
दरअसल शिवसेना इन दिनों पार्टी के अंदर राजनीतिक झटकों का सामना कर रही है। इसके साथ ही उसकी मांग है कि पिंपरी-चिंचवाड़ निर्वाचन क्षेत्र में उसका एक संगठनात्मक आधार है और इस सीट से उसे मौका मिलना चाहिए क्योंकि वह चुनावी लड़ाई से खुद को बाहर नहीं दिखाना चाहती। इस सीट के लिए उद्धव सेना राहुल कलाटे के प्रदर्शन पर आधार पर अपना दावा कर रही है।
शिवसेना को जीत की उम्मीद, यह है आधार:
बता दें कि राहुल कलाटे ने भाजपा के दिवंगत लक्ष्मण जगताप को कड़ी टक्कर दी थी। वहीं इस सीट पर उपचुनाव जगताप के निधन के बाद हो रहा है। ऐसे में शिवसेना को उम्मीद है कि इस उपचुनाव में वह जीत हासिल कर सकती है। बता दें कि कलाटे टूट से पहले की शिवसेना के साथ थे जब उन्होंने पिछली बार बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। चुनाव में उन्हें एनसीपी और कांग्रेस दोनों का समर्थन मिला था।
हालांकि एनसीपी इस विधानसभा सीट को अपनी खाते में रखना चाहती है। उसे लगता है कि इस सीट पर उसका नियंत्रण है। मालूम हो कि लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अगले साल होंगे। वहीं पुणे जिले में 21 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 2019 में एनसीपी ने 10 और बीजेपी ने नौ जीती थीं, जबकि बाकी दो कांग्रेस के खाते में गई थीं।
वहीं यहां जिला परिषद भी एनसीपी के नियंत्रण में है। एनसीपी के लिए पिंपरी-चिंचवाड़ सीट को जीतना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे जीतने से शरद पवार की अगुवाई वाली पार्टी को आगे की लड़ाई में पुणे में बढ़त मिलेगी। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि उपचुनाव में दो सीटें हैं। और हम तीन दल हैं। कांग्रेस और एनसीपी को अपनी पारंपरिक सीटें शिवसेना (यूबीटी) के लिए क्यों छोड़नी चाहिए, जोकि 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों तक बीजेपी के साथ गठबंधन में थी?