महाराष्ट्र: उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल, कोर्ट ने दिया ये जवाब
याचिकाकर्ताओं के वकील मैथ्यू नेदुम्पारा ने तत्काल सुनवाई के लिए बृहस्तपतिवार को दो अलग-अलग पीठों का रुख किया। दोनों ही पीठों ने याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार दिया।

बंबई उच्च न्यायालय ने उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने पर रोक लगाने के लिए दायर एक याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार करते हुए पूछा कि क्या तलाक की अवधारणा विवाह के कानून के लिए नई है? ठाकरे बृहस्पतिवार शाम को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। याचिका दायर करने वाले व्यक्तियों ने खुद को भाजपा का समर्थक बताया है। उन्होंने अदालत से भाजपा और शिवसेना को अपने चुनाव पूर्व गठबंधन पर कायम रहने और सरकार गठन करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। याचिकाकर्ताओं के वकील मैथ्यू नेदुम्पारा ने तत्काल सुनवाई के लिए बृहस्तपतिवार को दो अलग-अलग पीठों का रुख किया। दोनों ही पीठों ने याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार दिया।
न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति आर आई छाग्ला की पीठ ने कहा कि उसके पास वक्त नहीं है। इसके बाद नेदुम्पारा ने मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ का रुख किया और दलील दी कि ठाकरे का शपथ ग्रहण ‘असंवैधानिक और अवैध’ है। जब पीठ ने पूछा कि यह कैसे अवैध और असंवैधानिक है तो वकील ने कहा कि भाजपा और शिवसेना ने मतदाताओं के साथ विश्वासघात किया है और दोनों पार्टियों को विधानसभा चुनाव से पहले किए गए गठबंधन पर कायम रहना चाहिए।
इस पर मुख्य न्यायाधीश नंदराजोग ने पूछा, ‘‘ क्या तलाक की अवधारणा विवाह के कानून के लिए नई है?’’ न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘ जब उचित पीठ याचिका पर आज सुनवाई करने से पहले ही इनकार कर चुकी है तो हमें क्यों विचार करना चाहिए।’’ याचिका में दावा किया गया है कि शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा ने चुनाव बाद सरकार बनाने के लिए जो गठबंधन बनाया है, वो ‘अनैतिक’ है। इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता भाजपा के समर्थक हैं और उन्होंने शिवसेना के प्रत्याशी को इसलिए वोट दिया था क्योंकि दोनों दलों के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन हुआ था।
याचिका में ठाकरे के शपथ ग्रहण पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं समेत कई मतदाताओं ने भाजपा और शिवसेना को इसलिए वोट दिया था क्योंकि वे कांग्रेस और राकांपा की नीति और विचारधारा को खारिज कर चुके थे। इसमें अनुरोध किया गया है कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने गठबंधन करके जनादेश के साथ विश्वासघात किया है।
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