scorecardresearch

जयललिता के खिलाफ पेंफलेट बांटने वाली जर्नलिस्ट को रात में किया था अरेस्ट, मांगे 25 लाख तो सरकार पर भड़का मद्रास HC

कोर्ट ने सरकार से कहा है कि सीआरपीसी के सेक्शन 46(4) के तहत सरकार एक गाइडलाइन तैयार करे, जिसमें सूर्यास्त होने के बाद किसी महिला को अरेस्ट करने के नियम तय किए जाए।

man arrested |
सांकेतिक तस्वीर

तमिलनाडु की सीएम जे जयललिता के खिलाफ 2012 में पेंफलेट बांटने वाली महिला पत्रकार को रात में 10 बजे अरेस्ट किया गया था। हालांकि उस वक्त महिला पुलिस तो मौजूद थी लेकिन पुलिस ने मजिस्ट्रेट से रात में अरेस्ट करने को लेकर अनुमति हासिल नहीं की थी। पत्रकार ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर करके पुलिस के कदम को गैरकानूनी बताते हुए 25 लाख के मुआवजे की मांग की तो अदालत का पारा चढ़ गया।

कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से जवाब तलब किया है किस अधिकार से महिला पत्रकार को रात में अरेस्ट किया गया। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि सीआरपीसी के सेक्शन 46(4) के तहत सरकार एक गाइडलाइन तैयार करे, जिसमें सूर्यास्त होने के बाद किसी महिला को अरेस्ट करने के नियम तय किए जाए।

सरकार आठ हफ्ते के भीतर कोर्ट के पास गाइडलाइड को लेकर आए

हाईकोर्ट की जज अनीता सुमंत ने सरकार को आदेश दिया कि वो आठ हफ्ते के भीतर कोर्ट के पास गाइडलाइड को लेकर आए। अदालत ने ये फैसला 16 मार्च को दिया था। सरकार को हिदायत दी गई कि सीआरपीसी के सेक्शन 46(4) के तहत सरकार तय करे कि विशेष हलातों (सूर्य अस्त होने के बाद) भी किसी महिला को हिरासत में लेने को लेकर क्या नियम तय किए गए हैं। अदालत सारे मसौदे पर गौर करने के बाद इसे मंजूरी देगी।

पुलिस ने सीआरपीसी के सेक्शन 46(4) के तहत नहीं ली थी मजिस्ट्रेट की मंजूरी

सीआरपीसी के सेक्शन 46(4) में प्रावधान है कि सूर्यास्त के बाद किसी भी महिला को विशेष परिस्थितियों में ही अरेस्ट किया जा सकता है। पुलिस महिला को किसी महिला पुलिस कर्मी की मौजूदगी में ही अरेस्ट कर सकती है। इससे पहले लोकल मजिस्ट्रेट की अनुमति लेनी अनिवार्य है।

हाईकोर्ट ने कहा कि महिला को अरेस्ट करने के मामले में दोनों सीआरपीसी के सेक्शन 46(4) के तहत दोनों नियमों की पालना बेहद जरूरी है। इन्हें किसी भी हालात में अनदेखा नहीं किया जा सकता। जस्टिस अनीता सुमंत ने कहा कि महिला पत्रकार को अरेस्ट किया गया इस बात को लेकर उसे कोई परेशानी नहीं है। उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि क्या सीआरपीसी के सेक्शन 46(4) की पूरी तरह से पालना की गई थी।

कोर्ट ने पत्रकार को 25 लाख का मुआवजा देने से इनकार कर दिया। लेकिन अदालत का कहना था कि हमें नियमों को देखना होगा। आज इलेक्ट्रानिक युग है। पुलिस चाहती तो लोकल मजिस्ट्रेट से ईमेल या फिर वाट्सऐप के जरिये आदेश हासिल कर सकती थी। पुलिस की इस दलील को मानने की कोई तुक नहीं है कि रात के समय वो मजिस्ट्रेट को तंग नहीं करना चाहते थे। महिला पत्रकार को AIADMK की वर्कर की शिकायत पर अरेस्ट किया गया था। तमिलनाडु पुलिस का कहना था कि रात के समय अरेस्ट इस वजह से भी जरूरी थी क्योंकि पेंफलेट से तनाव फैलने का खतरा था।

पढें राष्ट्रीय (National News) खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News)के लिए डाउनलोड करें Hindi News App.

First published on: 28-03-2023 at 14:52 IST
अपडेट