देश के सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष पैकेज देने और गंभीर पेयजल संकट का स्थायी समाधान निकालने पर जोर देते हुए सदस्यों ने बुधवार (11 मई) को लोकसभा में सरकार से मांग की कि नदियों को जोड़ने की दिशा में ठोस पहल की जाए और प्रभावित इलाकों में किसानों का कर्ज माफ किया जाए। सदन में नियम 193 के तहत कई राज्यों में सूखे और पेयजल संकट से उत्पन्न स्थिति और संकट को दूर करने के लिए स्थायी समाधान विषय पर अधूरी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस के आर ध्रुव नारायण ने कहा कि देश में भयंकर सूखे की स्थिति है और प्रधानमंत्री को प्रभावित इलाकों का दौरा करना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से किसानों के रिणों का ब्याज माफ करने और विशेष पैकेज दिए जाने की मांग की।
भाजपा के वीरेंद्र सिंह ने कहा कि सूखा एक प्राकृतिक प्रकोप है और जब प्रकृति से छेड़छाड़ कर भौतिक विकास किया जाता है तो प्रकृति उसका जवाब देती है। उन्होंने सूखे से निपटने के लिए सांसदों को अपने अपने इलाकों में यज्ञ करने का सुझाव भी दिया। भाजपा के ही सुनील कुमार सिंह ने कहा कि पिछले 60 साल तक देश में शासन करने के बावजूद कांग्रेस के शासनकाल में झारखंड के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई। अभी वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर राज्य के लिए सिंचाई योजना को आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि देश में सूखे और बाढ़ के गंभीर हालात को देखते हुए नदियों को जोड़ने की परियोजना को आगे बढ़ाया जाए, चाहे कितना भी खर्च क्यों न आए।
इंडियन नेशनल लोकदल के दुष्यंत चौटाला ने कहा कि नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना बहुत महंगी है और इससे पहले नदियों पर बांध बनाकर बारिश के पानी का संचयन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद की कृषि संबंधी समिति ने लिख कर दिया है कि हरियाणा भी सूखा प्रभावित राज्यों में है लेकिन अभी तक प्रदेश सरकार ने केंद्र को इस संबंध में सूचित नहीं किया है। चौटाला ने कहा कि सतलुज यमुना लिंक नहर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद फिर पंजाब हरियाणा से झगड़ा करेगा कि हमारा पानी ले लिया। उन्होंने कहा कि पानी को राष्ट्रीय संपत्ति बनाया जाए।
भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने कहा कि सूखा का विषय कोई नया नहीं है। हर साल बाढ़ और सूखे की स्थिति उत्पन्न होती है और मानसून की अनिश्चितता के कारण स्थिति और गंभीर हो जाती है। उन्होंने कहा कि हम प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहे हैं, पहाड़ों को तोड़ रहे हैं और पेड़ों की कटाई कर रहे हैं। सूखे की समस्या के स्थायी समधान के लिए कोई पहल नहीं की गई है। सिग्रीवाल ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की तत्कालीन सरकार ने सूखे एवं बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए नदी जोड़ो परियोजना की संकल्पना की थी, लेकिन उसके बाद आई कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने इसे आगे नहीं बढ़ाया। हम सरकार से मांग करते हैं कि नदी जोड़ो परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाया जाए।
राजद से निष्काषित राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि देश सूखे से प्रभावित है, भूजल स्तर लगातार गिर रहा है और नदियों के पानी को रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण स्थिति और खराब हो गई है। ऐसे में वर्ष जल संचय के लिए तंत्र बनाने की ठोस व्यवस्था करनी चाहिए। एआइयूडीएफ के बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि इस विषय पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और सभी को मिलकर इससे निपटना होगा। भाजपा की कृष्णा राज ने कहा कि हम नदियों को जोड़ने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन हम नदियों से नहीं जुड़ पाए। हम अपनी आदतों की वजह से संकट में हैं। उन्होंने नदियों को जोड़ने के साथ उनमें पड़े सिल्ट की सफाई की भी मांग की।
इसी पार्टी की रेखा वर्मा ने अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक तीनों तरह की नीतियों की जरूरत बताई।
भाजपा के एसएस अहलूवालिया ने कहा कि सूखे की समस्या पर हमेशा चर्चा होती रहती है लेकिन समस्या हर बार बढ़ती जा रही है। जबकि इस देश में कई नदियां हैं और उन्हें पूजा जाता है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर चर्चा में कें्रदीय जल संसाधन मंत्री, कृषि मंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री के साथ ही वित्त मंत्री और गृह मंत्री को भी सदन में उपस्थित होना चाहिए क्योंकि यह केवल तीन मंत्रालयों से जुड़ा विषय नहीं है। बाद में सदन में गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित थे।
स्वाभिमान पक्ष के राजू शेट्टी ने कहा कि किसानों को उनके दाम नहीं मिल रहे और इस मामले में सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। भाजपा की रक्षा खड़से ने छोटे-छोटे जलाशयों के सुधार की मांग की। इसी पार्टी के हरीश मीणा ने कहा कि देश में जल का अभाव नहीं है लेकिन उचित जल नीति का अभाव है। वाइएसआर कांग्रेस के वाई वी सुब्बारेड्डी ने आंध्र प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्रों को भी संकट से उबारने के लिए कार्रवाई की और प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग की।
भाजपा के भैरों प्रसाद मिश्रा ने उत्तर प्रदेश की सपा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि एक तरफ सैफई महोत्सव में जनता का 400 करोड़ रुपए बर्बाद कर दिए जाते हैं, वहीं सूखे और जलसंकट की स्थिति में जनता को लाभ नहीं मिलता। उन्होंने बुंदेलखंड को दलहन की पैदावार का हब बनाने की और जैविक खेती को बढ़ावा देने की मांग की। भाजपा के रवींद्र कुमार पांडेय ने झारखंड स्थित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड से करोड़ों गैलन भूजल को निकालकर उसका इस्तेमाल विभिन्न क्षेत्रों में और शोधित कर पेयजल के तौर पर किए जाने की मांग की।