सुप्रीम कोर्ट में वकीलों के सामने एक अलग तरह की समस्या सामने आ रही है। वकीलों को अलग अलग बेंचों के सामने अपने केसों की पैरवी के लिए जाना होता है। वो जाते भी हैं। लेकिन इससे उन्हें लंच करने का समय नहीं मिल पाता। दरअसल, बेंचों के उठने के समय अलग अलग है। एक बेंच अगर काम पर नहीं है तो जरूरी नहीं कि दूसरी काम पर न हो। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने ये मसला उठाया तो सीजेआई चंद्रचूड़ ने उन्हें आश्वस्त किया कि फुल कोर्ट में वो इस मसले पर विचार विमर्श करेंगे।
मुकुल रोहतगी ने कहा कि हर बेंच अपनी सुविधा के हिसाब से काम करती है। उनका काम करने का तरीका और समय दूसरे से अहलदा होता है। कुछ जज दोपहर में 1 बजे लंच के लिए उठ जाते हैं तो कुछ के लंच ब्रेक का टाईम दोपहर 2 बजे होता है। लेकिन इसका खामियाजा वकीलों को भुगतना होता है। वकीलों को लंच करने का समय तक नहीं मिल पाता क्योंकि उन्हें अलग अलग कोर्ट में सुनवाई के लिए जाना होता है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना था कि समय पर लंच लेना उन वकीलों के लिए बहुत जरूरी है जो मधुमेह के मरीज हैं। ऐसे लोगों को इंसुलिन की डोज लेनी पड़ती है। लेकिन लंच न कर पाने की वजह से वो इंसुलिन नहीं ले पाते। इससे उनकी सेहत खराब होने का भी खतरा है।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने वकीलों की बात को ध्यान से सुनने के बाद माना कि ये गंभीर मसला है और इस पर तफसील से चर्चा होनी चाहिए। उनका कहना था कि जब भी फुल कोर्ट मीटिंग होगी तब वो साथी जजों से इस मसले पर विचार विमर्श करेंगे। सीजेआई का कहना था कि वकीलों के बगैर न्यायिक सिस्टम अधूरा है। हमें उनकी समस्या पर गंभीरता से चर्चा करनी ही होगी। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि जब सारे जज मौजूद हों तब ये मसला सामने रखा जाए। इससे समस्या का सही समाधान निकल सकता है।