कोरोना से बचने के लिए वकील ने पेड़ को ही बना लिया आशियाना, लोगों ने पूछा- खाएंगे पत्ते, पिएंगे ओस?
बुलंदशहर के करीब हापुड़ के रहने वाले वकील मुकुल त्यागी का कहना है कि लॉकडाउन के समय में एकांत में रहने के लिए उन्होंने पेड़ पर रहने का फैसला किया।

कोरोनावायरस से बचाव के सरकारें लोगों को लॉकडाउन का पालन करते हुए घर में रहने की अपील कर रही हैं। लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन करने के लिए कहा जा रहा है। लोग अपनों से दूर रहने के लिए नए-नए तरीके भी निकाल रहे हैं। ऐसा ही मामला है हापुड़ के रहने वाले वकील मुकुल त्यागी का, जिन्होंने पेड़ों पर ही अपना आशियाना बना लिया है। मुकुल का कहना है कि वे डॉक्टरों की सलाह के बाद एकांत का आनंद ले रह हैं। पेशे से वकील मुकुल ने अपने बेटे की मदद से पेड़ पर अपने रहने की जगह बनाई।
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मुकुल के मुताबिक, “कोरोना का प्रकोप जब से भारत में हुआ है। तब से डॉक्टर कह रहे हैं कि इसका कोई इलाज नहीं है, कोई वैक्सीन नहीं है और इसकी रोकथाम सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग से हो सकती है। इसीलिए भारत में लॉकडाउन हुआ। तो हमने एकांत में रहने का विचार बनाया। इसका सदुपयोग करने का सोचा। जब जंगल में आए, तो यहां नए-नए विचार आए। बहुत पहले सुना कि जब प्लेग बीमारी आई तो लोग जंगल में रहते थे। तो यह सोचकर कि कैसे रहते होंगे, हमने विचार किया कि पेड़ में घर बनाया जाए। बेटे की मदद से मैंने इसको काटा और फिर जोड़कर बनाया। ट्री हाउस बनाया, गांव में इसे मचान कह देते हैं। हमने ट्री हाउस में रेडिमेड झूला भी लगाया।”
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मुकुल का कहना है कि लॉकडाउन ने हमें कुछ समय दे दिया है। इसी लिए हम इस समय का सदुपयोग कर रहे हैं। जो धार्मिक किताब पढ़ना चाहते थे और जो मन था, वो कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर चाय घर से बन कर आ जाती है, लेकिन उन्होंने अपने साथ एक इलेक्ट्रिक केटल रखी है।
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वकील मुकुल के इस तरह से रहने पर जहां कुछ लोगों ने उनकी सराहना की है, तो वहीं कुछ लोगों ने उनका मजाक भी बनाया। @kometa994 ट्विटर हैंडल ने लिखा, खाएगा- पत्ते?, पीएगा- ओस? सुबोध कुमार जैन नाम के एक यूजर ने लिखा, छत नहीं बनाई।
एक अन्य यूजर ममता पटेल ने कहा, “उम्मीद वह आखिरी चीज है जो व्यक्ति हारने से ठीक पहले करता है। वहीं यास्मीन ने कहा, “बहुत सही है, कोरोना के वक्त अमन से जी रहे हैं पेड़-पौधों के बीच। मुझे भी ऐसा ही करना है बोरियत मिटाने के लिए।”