Kiren Rijiju in Rajya Sabha: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने गुरुवार (2 फरवरी) को राज्यसभा में बताया कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा जजों को लेकर की गई 18 सिफारिशों का विरोध कर वापस कर दिया। रिजिजू ने बताया कि इसके अलावा कॉलेजियम (Collegium) द्वारा की गई 64 सिफारिशें सरकार के पास लंबित हैं।
बता दें कि कानून मंत्री ने माकपा नेता जॉन ब्रिटास और आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा (AAP Leader Raghav Chaddha) के दो सवालों के जवाब में यह जानकारी सदन में दी। जिसमें पहले सवाल में पूछा गया था कि सरकार द्वारा पिछले तीन सालों के दौरान सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को लौटाए गए कॉलेजियम प्रस्तावों की कुल संख्या कितनी रही।
मालूम हो कि केंद्र ने कॉलेजियम के जिन 18 नामों को वापस भेजा था, उनमें से 6 को कॉलेजियम ने दोहराया भी था। उनमें से 7 में हाई कोर्ट के कॉलेजियम से इनपुट मांगे गए थे जबकि 5 को उच्च न्यायालयों को भेज दिया गया था। सदन में बताया गया कि 31 जनवरी 2023 तक कुल 18 प्रस्ताव आए जिन पर एससीसी से पुनर्विचार की मांग की गई है। इसमें SCC ने 6 नामों को दोहराने का फैसला किया और 7 मामलों में SCC ने उच्च न्यायालय के कॉलेजियम के इनपुट से जानकारी मांगी।
इसके अतिरिक्त जो सिफारिशें अभी सरकार के पास लंबित हैं, उनसे जुड़े सवालों पर कानून मंत्री ने जानकारी दी कि 64 सिफारिशें अभी विचाराधीन चरण में हैं। कानून मंत्री ने बताया विभिन्न उच्च न्यायालयों में 1,108 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति में वर्तमान में 775 न्यायाधीश हैं जबकि 333 पद रिक्त हैं।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्य सभा को बताया कि 2018 से अब तक देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में नियुक्त कुल 554 न्यायाधीशों में से 430 सामान्य श्रेणी के हैं। उन्होंने आगे कहा कि 58 न्यायाधीश अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और 19 अनुसूचित जाति से हैं। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जनजाति से केवल छह और अल्पसंख्यकों से 27 न्यायाधीश हैं। उन्होंने कहा कि इन नियुक्तियों में 84 महिला न्यायाधीश भी शामिल हैं। कानून मंत्री ने बताया कि कुल नियुक्तियों में सामान्य श्रेणी के न्यायाधीशों की संख्या 77 प्रतिशत से अधिक है।