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‘सरकार और न्यायपालिका के बीच मतभेद का मतलब टकराव नहीं’, कानून मंत्री बोले- भारतीय लोकतंत्र में यह कोई संकट नहीं

Kiren Rijiju: किरेन रिजिजू ने कहा कि हम एक तानाशाह राजा द्वारा शासित नहीं हैं, इसलिए मतभेद को भारतीय लोकतंत्र में संकट नहीं कहा जा सकता है।

Law Minister Kiren Rijiju | TamilNadu | D Y Chandrachud
Chief Judicial Magistrate Court In TamilNadu Inaugurated: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और कानून मंत्री किरेन रिजिजू तमिलनाडु में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट का उद्घाटन करने के दौरान। (फोटो सोर्स: @MLJ_GoI)

Kiren Rijiju: केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार (25 मार्च, 2023) को कहा कि लोकतंत्र में मतभेद होते हैं, लेकिन उन्हें टकराव के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार और न्यायपालिका के बीच किसी भी तरह का टकराव नहीं है, जैसा कि मीडिया में कयास लगाए जा रहे हैं। रिजिजू तमिलनाडु में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट का उद्घाटन करने के बाद बोले रहे थे।

कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और मद्रास उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी राजा भी मौजूद थे।

किरेन रिजिजू ने जोर देकर कहा कि हमारे बीच मतभेद हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि टकराव है। यह दुनिया भर में एक गलत संदेश भेजता है। उन्होंने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि राज्य के विभिन्न अंगों के बीच कोई समस्या नहीं है। यह मजबूत लोकतांत्रिक कार्यों के संकेत हैं, न कि कोई संकट है।

हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं: किरेन रिजिजू

सरकार, सर्वोच्च न्यायालय, विधायिका और न्यायपालिका के बीच कथित मतभेदों की कुछ मीडिया रिपोर्टों की ओर इशारा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमें यह समझना चाहिए कि हम लोकतंत्र में हैं। कुछ दृष्टिकोणों के संदर्भ में कुछ मतभेद होना तय है, लेकिन आप परस्पर विरोधी स्थिति नहीं रख सकते। इसका मतलब टकराव नहीं है। हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। केंद्र भारतीय न्यायपालिका को स्वतंत्र होने का समर्थन करेगा।

‘मतभेद को भारतीय लोकतंत्र में संकट नहीं कहा जा सकता’

किरेन रिजिजू पीठ और बार के बारे में कहा कि दोनों एक सिक्के दो पहलू हैं। एक साथ काम करने के लिए अदालत परिसर विभाजित नहीं है। एक के बिना दूसरे का अस्तित्व नहीं हो सकता। न्यायालय में उचित मर्यादा और अनुकूल वातावरण होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, ‘हर कोई एक जैसा नहीं सोच सकता।’ उन्होंने जोर देकर कहा, “हम एक तानाशाह राजा द्वारा शासित नहीं हैं, इसलिए मतभेद को भारतीय लोकतंत्र में संकट नहीं कहा जा सकता है। हम एक-दूसरे की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन जब राष्ट्रीय हित की बात आती है तो हमें एक होना चाहिए।’

लोगों को न्याय दिलाने में महामारी के दौरान सही दिशा-निर्देशों के लिए तमिलनाडु में अदालतों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में न्यायिक बुनियादी ढांचा भारत के कई राज्यों की तुलना में बेहतर है।

हाल ही में उन्होंने पुडुचेरी का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने कहा कि न्यायिक ढांचे में सुधार के लिए जिस तरह का काम किया जा रहा है, वह तभी संभव है, जब न्यायपालिका और सरकार मिलकर मुद्दों को समझें और उन्हें सुलझाने की कोशिश करें।

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First published on: 25-03-2023 at 17:40 IST