Harish Salve on Kiren Rijiju: सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे (Senior Advocate Harish Salve) ने कानून मंत्री किरेन रिजीजु (Law Minister Kiren Rijiju) के उस बयान पर तल्ख टिप्पणी की है जिसमें उन्होंने न्यायपालिका (Judiciry) और सरकार (Government) के बीच के विवाद (Controversy) पर बयान दिया था। साल्वे ने एक इवेंट में कहा कि कानून मंत्री ने टिप्पणी करके लक्ष्मणरेखा (Border Line) को पार कर दिया है। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल (Arun Goel) की नियुक्ति पर सरकार से सवाल पूछा तो कानून मंत्री ने कहा था कि ऐसे ही सवाल सरकार भी उन नियुक्तियों को लेकर पूछ सकती है जो कॉलेजियम के जरिये की जा रही हैं।
Constitution Day पर कानून मंत्री ने दिया था बयान
इसके पहले शुक्रवार (25 नवंबर) को कांस्टीट्यूशन डे (Constitution Day) के मौके पर सुप्रीम कोर्ट लॉन (Supreme Court Lawn) में आयोजित समारोह में रिजीजु (Kiren Rijiju) ने कहा था कि सरकार (Government) हमेशा से अदालत का सम्मान करती है। सरकार और न्यायपालिका के बीच लगातार हो रहे गतिरोध के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने शुक्रवार को लोकतंत्र के दो स्तंभों के बीच भ्रातृत्व संबंधों की हिमायत की थी। कानून मंत्री ने कहा था कि वे भाइयों की तरह हैं और उन्हें आपस में नहीं लड़ना चाहिए।
Kiren Rijiju ने कहा था हम सब एक ही माता-पिता की संतान
कानून मंत्री किरेन रिजीजु ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कभी भी न्यायपालिका के अधिकार को कमजोर नहीं किया है और वह हमेशा यह सुनिश्चित करेगी कि उसकी स्वतंत्रता अछूती रहे। उन्होंने संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था, हम एक ही माता-पिता की संतान हैं.. हम भाई-भाई हैं। आपस में लड़ना-झगड़ना ठीक नहीं है। हम सब मिलकर काम करेंगे और देश को मजबूत बनाएंगे।’
Supreme Court द्वारा Arun Goyal की नियुक्ति पर मचा था घमासान
‘टाइम्स नाउ समिट’ के एक सवाल में पूछा गया था कि उच्चतम न्यायालय यह जानना चाहता है कि कानून मंत्री ने एक विशेष चुनाव आयुक्त को कैसे चुना, इस सवाल के जवाब में किरेन रिजीजू ने कहा,‘फिर लोग पूछेंगे कि कॉलेजियम ने न्यायाधीश बनने के लिए किसी खास व्यक्ति का चयन कैसे किया?’ उन्होंने कहा,‘इस प्रश्न से मुश्किल स्थिति पैदा होगी। इसलिए एक न्यायाधीश को अपने निर्णय के माध्यम से बोलना चाहिए।’ उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयुक्त के तौर पर पूर्व नौकरशाह अरुण गोयल की नियुक्ति में जल्दबाजी पर बृहस्पतिवार को सवाल उठाते हुए कहा था कि गोयल की फाइल 24 घंटे के भीतर विभागों के अंदर ‘बिजली की रफ्तार’ से आगे बढ़ी।