देश के जाने-माने कवि कुमार विश्वास ने प्रदूषण की हालत को लेकर दिल्ली सरकार पर हमलावर रुख अपनाया है। दरअसल, केजरीवाल सरकार ने राजधानी में दिवाली के मद्देनजर पटाखों की बिक्री और खरीद पर बैन लगा दिया है। यानी पटाखे जलाने वालों पर भी कार्रवाई हो सकती है। आप सरकार का कहना है कि यह कदम प्रदूषण के बढ़ते स्तर को कम करने के लिए उठाया जा रहा है। हालांकि, इस पर कुमार विश्वास ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार को अपने निकम्मेपन का ठीकरा दूसरों के सिर नहीं फोड़ना चाहिए।
विश्वास के ट्वीट में क्या?: कुमार विश्वास ने शुक्रवार को अपने ट्वीट में कहा, “मैं और मेरा परिवार दशकों से पटाखे नहीं जलाते और ऐसे हालातों में तो किसी को भी नहीं जलाने चाहिए किंतु अपनी सरकारों के निकम्मेपन और खुद की हर काम में राजनैतिक पैंतरेबाजी करने की आदतों से पैदा प्रदूषण का ठीकरा पटाखों के सर फोड़ना भी ठीक नहीं। व्यवस्था न सुधरी है न सम्भावना है।”
विश्वास के ट्वीट पर कहीं समर्थन, कहीं विरोध: कुमार विश्वास के इस ट्वीट पर कमेंट्स की बाढ़ आ गई। कुछ लोगों ने उनका समर्थन किया, तो कई और लोगों ने उन पर निशाना भी साधा। निखिल जाधव नाम के एक यूजर ने कहा, “आपको लगता है इस हिंदू खतरें में है स्लोगन वाली राजनीति में ये बात उन लोगों के गले उतरेगी? कल वह लोग आप को भी हिंदू विरोधी कहने में पीछे नही रहेंगे। हिंदू त्योहारों पर बंदी क्यों ऐसी प्राइम टाइम डिबेट्स लेने वाले “राष्ट्रभक्त” पत्रकारों की कमी नही है देश में।”
पटाखे तो एक दिन जलेंगे और अगर सब को चिंता है पर्यावरण की तो त्याग दो गाड़ियां, एयरकंडीशनर, कूलर जिससे ओजोन का क्षरण हो रहा , बस आते हो त्योहारों पर ज्ञान देने।
— शुभम सिंह (@ThAnKs_2ME) November 6, 2020
नीतू शर्मा नाम की एक यूजर ने कहा, “यकीनन पटाखे प्रदूषण और पैसे की बरबादी के लिए ही हैं,पर साल के 364 दिन प्रदूषण होता ही है,खास तौर पर दिल्ली के हालात तो बदतर हैं, एक ही दिन को प्रदूषण का जि़म्मेदार ठहराना तो सही नहीं। बच्चें भी पूरा साल इंतजार करते हैं पटाखे चलाने का ,बड़े बेशक समझ जाएं। हां एक लिमिट जरूरी है।”
वहीं ट्विटर हैंडल @Pritam98487992 ने लिखा, “साहेब प्रदूषण का मसला नहीं है, इस बार मसला है कोरोना वायरस जो कि मनुष्य के फेकड़ो पे आक्रमण करके उससे निष्क्रिय कर देता है और दीवाली में अगर ओर प्रदूषण हुआ तो अपने छोटे बच्चे ओर बुजुर्ग लोगों को दिक्कत आ सकती है। और कोई भी सरकार ऐसे निर्णय विशेषज्ञ की परामर्श से लेते हैं।”