इराम सिद्दीकी
Cheetahs in Kuno: नामिबिया से लाए गए 8 चीतों में से दो को मध्य प्रदेश के कूनो पार्क के बड़े बाड़े में छोड़ा गया है। वहीं वन अधिकारियों ने जानकारी दी है कि फ्रेडी और एल्टन नाम के दो चीता बंधुओं ने बुधवार(9 नवंबर) की शाम को अपना दूसरा सफल शिकार किया। उससे पहले 6 नवंबर की सुबह भी इन दोनों ने अपना पहला शिकार किया था।
बता दें कि अपने पहले शिकार में इन दोनों चीतों ने चीतल (चित्तीदार हिरण) का शिकार किया था, वहीं दूसरे शिकार में भी इन दोनों ने चित्तीदार हिरण को अपना शिकार बनाया। अब यहां सवाल यह भी है कि आखिर इन चीता बंधुओं के शिकार करने को लेकर इतनी चर्चा क्यों है?
दरअसल इन चीतों को हिंद महासागर के ऊपर 8,000 किमी की उड़ान के बाद नामीबिया से कूनो पार्क लाया गया है। इनपर सक्रियता से नजर रखी जा रही है। देखा जा रहा है कि ये चीते अपना सामान्य व्यवहार कर रहे हैं या नहीं। हालांकि इनका शिकार करना दर्शाता है कि वे अच्छी तरह से यहां व्यवहार कर रहे हैं। इनके इस व्यवहार से साफ है कि भारत के 96 करोड़ रुपये का चीता प्रोजेक्ट सही रास्ते पर है।
आम तौर पर चीता हर दो-तीन दिनों में एक शिकार करते हैं, वहीं रविवार को फ्रेडी और एल्टन ने चीतल का शिकार किया था। इसके बाद, वन अधिकारी इस बात पर नजर बनाए हुए थे कि क्या चीते अपना यह व्यवहार दोहराते हैं?
नाम न छापने की शर्त पर एक वन अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हर दो-तीन दिनों में उनकी शिकार करने की आदत को देखते हुए हम उनके द्वारा एक और शिकार की उम्मीद कर रहे थे। उनके द्वारा किए गए शिकार को आज सुबह एक निगरानी दल द्वारा देखा गया।
बता दें कि नामिबिया से लाए जाने के बाद इन चीतों को पार्क में बने इनके आशियाने में 50 दिन से अधिक क्वारंटीन में रखा गया था। इसके बाद इनमें से दो चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा गया। मालूम हो कि बाकी बचे छह चीतों को भी प्रक्रिया को अपनाते हुए बड़े बाड़े में छोड़ा जाएगा।
वन अधिकारियों ने कहा कि पिछली बार शिकार में फ्रेडी और एल्टन को लगभग 25-30 किलोग्राम मांस मिला। इस भूख और उनके शिकार के व्यवहार से मालूम पड़ता है कि चीते यहां सामान्य तरीके से माहौल को अपना रहे हैं।
बता दें कि 17 सितंबर को इन चीतों को भारत लाया गया था। कूनो पार्क लाने के बाद उन्हें अन्य जानवरों से संक्रमित होने से बचाने के लिए क्वारंटाइन में रखा गया था और इस दौरान उन्हें भैंस का मांस खिलाया गया। चीतों के शिकार के लिए लगभग 4,000 चीतों को छोड़ा गया है।