अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की रार में उनके नजदीकी लोग फंसने लगे हैं। सचिन पायलट के करीबी नेता राजेंद्र गुढ़ा पर किडनैपिंग का केस दर्ज होने के बाद दोनों के बीच तल्खी बढ़ना साफ है। राजस्थान पुलिस ने सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा पर शिकंजा कसा है।
मंत्री ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सवाल उठाए। कहा कि किसी मंत्री पर मुकदमा हो और वह भी राजस्थान के मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना। हो ही नहीं सकता। गृह विभाग भी उन्हीं के पास है। उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी ने पहले ही कहा था कि पंगे मत लो? उन्होंने कहा कि कम से कम वो गहलोत इस मुकदमे से पहले मेरे से बात तो करते कि जानकारी तो ले लेते कि यह मामला क्या है। उन्होंने कहा कि एक मंत्री के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए था। मैं उनसे मिलकर बात करूंगा। पता करूंगा कि एक मंत्री के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करके वो क्या साबित करना चाहते हैं।
उनके पीए पर भी केस
सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और उनके पीए सहित कुछ लोगों के खिलाफ एक व्यक्ति का अपहरण करने, उससे ब्लैंक चेक लेने व धमकाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। यह मामला सीकर के नीमकाथाना निवासी दुर्गा सिंह ने बृहस्पतिवार को दर्ज करवाया। वो वार्ड पंच है। पुलिस ने बताया कि राजेन्द्र गुढ़ा के पीए कृष्ण कुमार भी नामजद हैं। घटना 27 जनवरी की है। मामला मंत्री से जुड़ा होने के कारण सीआईडी-सीबी को भेज दिया गया है। पुलिस का कहना है कि मामला किसी जमीन को लेकर पैसे के लेनदेन से जुड़ा है।
चुनाव बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर जीता था
गुढ़ा उन छह विधायकों में से एक हैं जिन्होंने 2018 का विधानसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर जीता था, लेकिन बाद में वो कांग्रेस में शामिल हो गए। गुढ़ा को बाद में अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। अपने बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले गुढ़ा हाल ही में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की वकालत करते नजर आए हैं। पायलट और गहलोत के बीच तल्खी कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बाद से ज्यादा बढ़ी है।
गहलोत को गांधी परिवार कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाने का ख्वाहिश मंद था। लेकिन वो ऐन वक्त पर पलट गए। वो दिल्ली आते तो पायलट का सीएम बनना तय था। गहलोत ने सीएम की कुर्सी छोड़ना से इनकार कर दिया। उसके बाद से पायलट से उनकी तल्खी बढ़ी है। मंत्री पर केस होने से साफ है कि अशोक गहलोत सचिन पायलट खेमे के नेताओं को अपने पाले में शरीक करना चाहते हैं। साम दाम दंड भेद से