खालिस्तान की बातें करने वालों लोगों पर इन दिनों पंजाब सरकार बहुत सख्त है। अमृतपाल को पकड़ने के लिए लगातार चौथे दिन सर्च ऑपरेशन जारी है। इस बीच देशप्रेमी सिख समुदाय के लोग भी खुलकर खालिस्तानियों के विरोध में अपनी बातें रख रहे हैं। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम सिंह संधू ने खालिस्तान का समर्थन करने वालों को चुनाव लड़ने का चैलेंज दिया है। उन्होंने कहा कि पंजाब में चुनाव होंगे, वहां पर देख लो। ऐसे लोगों की पहले भी जमानतें जब्त हुई है।
चंड़ीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम सिंह संधू ने खालिस्तानी मूवमेंट पर कहा कि सिखों जैसा देशभक्त हो नहीं सकता कोई। जहां से सिखि निकली है, हमारे गुरुओं ने गुरु अर्जुन देव जी, गुरु तेग बहादुर जी, गुरु गोबिंद जी ने बलिदान दिए, सारे परिवार न्योछावर कर दिए इस देश में धर्म को बचाने के लिए.. इस देश की आस्था को बचाने के लिए।
उन्होंने आगे कहा कि जितनी कुर्बानियां देश को आजाद करवाने के लिए हुई हैं, उसमें से जबसे ज्यादा कुर्बानियां सिखों ने दी हैं। 70 फीसदी से ज्यादा फांसियां सिखों ने दी हैं। तिरंगे की शान बनाने के लिए सिखों ने सबसे ज्यादा खून बनाया है। आज कोई इंसान अगर तिरंगे का अपमान करता है तो यह गुरुओं की शहादत का अपमान है। जिन लोगों ने फांसी के रस्से चूमे हैं, उनका अपमान है।
विदेश में खालिस्तान समर्थकों की निंदा
अमेरिका और लंदन में भारतीय केंद्रों पर खालिस्तानियों द्वारा किए गए हमले की भी देशभक्त सिख समुदाय ने निंदा की है। न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में सिख नेता जसदीप सिंह ने कहा कि किसी भी तरह की हिंसा निंदनीय है। उन्होंने कहा कि हम सैन फ्रांसिस्को में भारतीय दूतावास के बाहर हुई किसी भी हिंसा या लंदन में भारतीय ध्वज के अपमान की निंदा करते हैं। सभी को विरोध करने का अधिकार है लेकिन यह शांतिपूर्ण होना चाहिए और कोई हिंसा या तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका और कनाडा में चल रहे खालिस्तान आंदोलन के संबंध में मीडिया में जो कुछ भी दिखाया जा रहा है, वह सब हाइप है। उत्तरी अमेरिका में दस लाख से अधिक सिख रहते हैं और उनमें से केवल 50 ही विरोध करने के लिए भारतीय दूतावास के बाहर दिखाई देते हैं।
एक अन्य सिख नेता बालगेंद्र सिंह शमी ने ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग और सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में तोड़फोड़ की घटना की भी निंदा की। उन्होंने कहा कि पंजाब में जो कुछ भी हुआ वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं यूनाइटेड किंगडम और सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में हुई हिंसक घटना की भी निंदा करता हूं। जैसा कि हम लोकतांत्रिक देश हैं, हमें विरोध करने का पूरा अधिकार है लेकिन यह शांतिपूर्ण होना चाहिए।