केरल सरकार के स्वामित्व वाली केरल यूनिवर्सिटी ने छात्राओं के लिए बड़ा फैसला किया है। यहां पढ़ाई कर रही छात्राएं 6 महीने तक की मैटरनिटी लीव ले सकती हैं। सोमवार (6 मार्च, 2023) को यूनिवर्सिटी ने इसकी घोषणा की। इसके मुताबिक, 18 वर्ष से ज्यादा उम्र की छात्राओं को पढ़ाई के दौरान 6 महीने का मैटरनिटी ब्रेक दिया जाएगा।
6 महीने बाद छात्राएं रिज्यूम कर सकेंगी अपनी पढ़ाई
यूनिवर्सिटी का कहना है कि अगर कोई छात्रा पढ़ाई के दौरान 6 महीने की मैटरनिटी लीव पर जाती है, तो वह अपनी पढ़ाई 6 महीने बाद फिर से शुरू कर सकती है। उसे दोबार एडमिशन लेने की आवश्कता नहीं होगी। इससे कुछ हफ्ते पहले, राज्य सरकार ने अधिसूचित किया था कि उच्च शिक्षा संस्थान मासिक धर्म के लिए महिलाओं की उपस्थिति को 73% तक सीमित कर सकते हैं। एक स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मैनस्ट्रुअल लीव और मैटरनिटी के प्रावधान को ध्यान में रखते हुए सिंडीकेट की बैठक में निर्णय लिया गया कि हर सेमेस्टर में एग्जाम के लिए छात्राओं की न्यूनतम उपस्थिति 73 प्रतिशत कर दी जाएगी। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि प्रेग्नेंसी के कारण छह महीने की छुट्टी के बाद, महिलाएं दोबारा एडमिशन लिए बिना अपने कॉलेज में शामिल हो सकती हैं।
यूनिवर्सिटी सिंडिकेट के फैसले के मुताबिक, छात्राओं को कॉलेज में फिर से शामिल होने की अनुमति देने की जिम्मेदारी कॉलेजों के प्रिंसिपल की होगी। इसके लिए, छात्राओं को अपनी मेडिकल रिपोर्ट भी देनी होगी, जिसे प्रिंसिपल द्वारा सत्यापित किया जाएगा।
पीरियड्स लीव पर लिया जा चुका फैसला
इससे पहले जनवरी में उच्च शिक्षा विभाग ने केरल के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों की छात्राओं को मासिक धर्म की छुट्टी देने का आदेश दिया था। यूनिवर्सिटी के नियमों के अनुसार, छात्राएं परीक्षा के लिए अनिवार्य 75 प्रतिशत उपस्थिति के मुकाबले 73 प्रतिशत उपस्थिति पर अपनी सेमेस्टर परीक्षा में शामिल हो सकती हैं। जनवरी में, कोचीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीयूएसएटी) ने छात्र संघ द्वारा मांग उठाए जाने के बाद छात्राओं को मासिक धर्म की छुट्टी की अनुमति दी थी।
यह कदम शिक्षा को संवेदनशील बनाने और महिलाओं तक शिक्षा की पहुंच को आसान बनाने के उठाया गया है। इससे पहले, राज्य ने केरल में छात्राओं के लिए 60 दिनों के मातृत्व अवकाश की अनुमति दी थी। केरल में कई विश्वविद्यालय अपने छात्रों के लिए मैटरनिटी और पीरियर लीव का प्रावधान शुरू कर रहे हैं। यदि यह आदेश सभी संस्थानों तक बढ़ाया जाता है, तो केरल अपने कॉलेजों में छात्राओं को मातृत्व और मासिक धर्म के दौरान छुट्टी देने वाला पहला राज्य बन जाएगा।